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*[[औरंगजेब]] ने भीम-भोज नामक एक तोमर राजपूत को इसे जागीर के रूप में दिया था।  
 
*इसके वंशजों का दीर्घकाल तक इस पर अधिकार रहा।  
 
*इसके वंशजों का दीर्घकाल तक इस पर अधिकार रहा।  
*दौलतराव सिंधिया ने बोतलशाह नामक एक फकीर को यह शुल्क-मुक्ति पर दान में दिया था।  
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*दौलतराव सिंधिया ने बोतलशाह नामक एक फ़कीर को यह शुल्क-मुक्ति पर दान में दिया था।  
 
*औरंगजेब के शासन में ही इसका नाम औरंगाबाद पड़ा था।  
 
*औरंगजेब के शासन में ही इसका नाम औरंगाबाद पड़ा था।  
*एफ॰ एस॰ ग्राउस ने यहाँ पर पत्थर का एक नक्काशीदार भव्य भवन बनवाया था जिसमें प्राथमिक पाठशाला चलती है।  
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*[[ग्राउस|एफ॰ एस॰ ग्राउस]] ने यहाँ पर पत्थर का एक नक्काशीदार भव्य भवन बनवाया था जिसमें प्राथमिक पाठशाला चलती है।  
 
*यह सुप्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी श्री हरचरन लाल जी की जन्मभूमि है।  
 
*यह सुप्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी श्री हरचरन लाल जी की जन्मभूमि है।  
 
*यहाँ पर उन्होंने एक भव्य केलादेवी का मन्दिर निर्मित करवाया है।
 
*यहाँ पर उन्होंने एक भव्य केलादेवी का मन्दिर निर्मित करवाया है।

०६:०९, ५ जुलाई २०१० के समय का अवतरण

औरंगाबाद /Aurangabad

  • यह मथुरा-आगरा रोड पर मथुरा के दक्षिण में 2 मील की दूरी पर स्थित है।
  • यहीं पर औरंगजेब कालीन लाल पत्थर की ऊँची मस्जिद है।
  • औरंगजेब ने भीम-भोज नामक एक तोमर राजपूत को इसे जागीर के रूप में दिया था।
  • इसके वंशजों का दीर्घकाल तक इस पर अधिकार रहा।
  • दौलतराव सिंधिया ने बोतलशाह नामक एक फ़कीर को यह शुल्क-मुक्ति पर दान में दिया था।
  • औरंगजेब के शासन में ही इसका नाम औरंगाबाद पड़ा था।
  • एफ॰ एस॰ ग्राउस ने यहाँ पर पत्थर का एक नक्काशीदार भव्य भवन बनवाया था जिसमें प्राथमिक पाठशाला चलती है।
  • यह सुप्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी श्री हरचरन लाल जी की जन्मभूमि है।
  • यहाँ पर उन्होंने एक भव्य केलादेवी का मन्दिर निर्मित करवाया है।