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गीता अध्याय-5 श्लोक-15 / Gita Chapter-5 Verse-15
नादत्ते कस्यचित्पापं न चैव सुकृतं विभु: ।
अज्ञानेनावृतं ज्ञानं तेन मुह्रान्ति जन्तव: ।।15।।
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सर्वव्यापी परमेश्वर भी न किसी के पाप कर्म को और न किसी के शुभ कर्म को ही ग्रहण करता है; किंतु अज्ञान के द्वारा ज्ञान ढका हुआ है, उसी से सब अज्ञानी मनुष्य मोहित हो रहे हैं ।।15।।
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The omnipresent God does not receive the virtue or sin of anyone. Knowledge is enveloped in ignorance; hence it is that beings are constantly falling a prey to delusion. (15)
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विभु: = सर्वव्यापी परमात्मा; कस्यचित् = किसी के; पापम् = पापकर्म को; सुकृतम् = शुभकर्म को; एव = भी; आदत्ते = ग्रहण करता है अज्ञानेन = माया के द्वारा; ज्ञानम् = ज्ञान; आवृतम् = ढका हुआ है; तेन = इससे; जन्तव: = सब जीव; मुह्मन्ति = मोहित हो रहे हैं
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