चौंसठ कलाएँ

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चौंसठ कलाऐं

शिव की शक्ति का एक रुप है। शिव द्वारा विश्व की क्रमिक सृष्टि अथवा विकास की प्रक्रिया का ही नाम कला है। सभी कलाओं में शक्ति की अभिव्यक्ति है। शैव तंत्रौ में चौंसठ कलाओं का उल्लेख पाया जाता है। उनकी सूची निम्नांकित हैः

  1. गीत
  2. वाध

3-नृत्य 4-नाट्य 5-आलेख्य 6- विशेषक्च्छेदध 7-तण्डुल्कुसुम्बलिविकार 8-पुष्पास्तरण 9-दशन-वसनाग्ड़राग

10-मणिभूमिका कर्म

11-शयनरचना 12-उदकवाधम् 13-पानकरसरागासवयोजन 14-सूचीवापकर्म 15-सुत्रक्रीड़ा 16-प्रहेलिका 17-प्रतिमाला 18-दुर्वचकयोग 19-पुस्तकवाचन 20-नाटिकाख्यायिकादर्शन 21-काव्यसम्स्यापूरण 22-पट्टिका-वेत्र-बाण-विकल्प 23-तर्कु-कर्म 24-तक्षण 25-वास्तुविधा 26-रुपायान्तरपरीक्षा 27-धातुवाद 28-मणिरागज्ञान 29-आकरज्ञान 30-वृक्षायुर्वेदयोग 31-मेष-कुक्कुट-लावक-युध्द 32-शुकसारिकाप्रलापन 33-उदकघात 34-चित्रायोग 35-माल्यग्रथनविकल्प 36-शेखरापीडयोजन 37-नेपथ्यायोग 38-कर्णपत्रभग्ड़ 39-गन्धयुक्ति 40-भूषणयोजन 41-ऐन्द्रजाल 42-कौचुमारयोग 43-हस्तलाघव 44-चित्रशाक-पूप-भक्ष्य-विकल्पक्रिया 45-केशमार्जनकौशल 46-अक्षरमुष्टिकाकथन 47-म्लेच्छित-कविकर्म 48-देशभाषाज्ञान 49-पुष्पशकटिकाःनिमित्र-ज्ञान 50-यन्त्रमातृका 51-धारणमातृका 52-सम्पाठय 53-मानसीकाव्यक्रिया 54-क्रियाविकल्प 55-छलितकयोग 56-अभिधानकोषछन्दोज्ञान 57-वस्त्रगोपन 58-धूतविशेष 59-आकर्षक्रीड़ा 60-बालकक्रीड़न 61-वैनायिकीविधाज्ञान 62-वैजयिकीविधाज्ञान 63-वैतालिकीविधाज्ञान 64-उत्सादन म