धारापतन तीर्थ
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धारापतन तीर्थ
धारासम्पातने स्नात्वा नाकपृष्ठे स मोदते ।
अथात्र मुज्चते प्राणान् मम लोकं स गच्छति ।।
यहाँ स्नान करने पर मनुष्य सब प्रकार के सुखों को भोग करता हुआ सहजही स्वर्ग को प्राप्त कर लेता है तथा यहाँ प्राण त्याग करने पर भगवद् धाम को गमन करता है ।