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यहां [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] ने ग्वालों और गौ–बछड़ों का अपहरण किया था । राजा वीर सिंह बुदेंला द्वारा निर्मित ब्रह्मकुण्ड तथा बिहारी जी का मन्दिर यहां स्थित है । इसके आगे गुजवन, [[भांडीरवन]], [[मांट]], [[बेलवन]] अथवा सेही, [[नरीसेमरी|नरी–सेमरी]], चौमुहां, जैत, छटीकरा, [[गरुड़ गोविन्द]] आदि स्थान पड़ते हैं, जहां से [[ब्रज]] चौरासी परिक्रमा के दौरान [[वृन्दावन]] पहुंच जाते हैं।  
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यहाँ [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] ने ग्वालों और गौ–बछड़ों का अपहरण किया था । राजा वीर सिंह बुदेंला द्वारा निर्मित ब्रह्मकुण्ड तथा बिहारी जी का मन्दिर यहाँ स्थित है । इसके आगे गुजवन, [[भांडीरवन]], [[मांट]], [[बेलवन]] अथवा सेही, [[नरीसेमरी|नरी–सेमरी]], चौमुहां, जैत, छटीकरा, [[गरुड़ गोविन्द]] आदि स्थान पड़ते हैं, जहां से [[ब्रज]] चौरासी परिक्रमा के दौरान [[वृन्दावन]] पहुंच जाते हैं।  
 
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१०:३१, ११ मई २०१० का अवतरण


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बच्छवन / Bachchhvan

यहाँ ब्रह्माजी ने ग्वालों और गौ–बछड़ों का अपहरण किया था । राजा वीर सिंह बुदेंला द्वारा निर्मित ब्रह्मकुण्ड तथा बिहारी जी का मन्दिर यहाँ स्थित है । इसके आगे गुजवन, भांडीरवन, मांट, बेलवन अथवा सेही, नरी–सेमरी, चौमुहां, जैत, छटीकरा, गरुड़ गोविन्द आदि स्थान पड़ते हैं, जहां से ब्रज चौरासी परिक्रमा के दौरान वृन्दावन पहुंच जाते हैं।