सदस्य:Dr.Suresh Chandra Sharma

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वाल्मीकि रामायण में मथुरा को मधुपुर या मधुदानव का नगर कहा गया है तथा यहाँ लवणासुर की राजधानी बताई गई है- [संदर्भ] इस नगरी को इस प्रसंग में मधुदैत्य द्वारा बसाई, बताया गया है । लवणासुर, जिसको शत्रुध्न ने युद्ध में हराकर मारा था इसी मधुदानव का पुत्र था । [संदर्भ देखें] इससे मधुपुरी या मथुरा का रामायण-काल


1.शत्रुघ्न की दरद देश

आर्य अनार्य

नरेश जरासंध ने 23 अक्षौहिणी सेना से उग्रसेन और कंस मथुरा के शासक थे जिस पर अंधकों के उत्तराधिकारी राज्य करते थे । [संदर्भ देखें] पार्जिटर के वर्णन के अनुसार सुदामा के शासन के कुछ समय पहले शूरसेन और मथुरा के राज्य पर राम के भाई शत्रुध्न की विजय के कारण कुछ वशिष्ठों ( ? )को दूसरी जगह पर जाना पड़ा था । शत्रुध्न मथुरा दिल्ली के सुल्तानों के अधिकार में रही । इटली के पर्यटक 'मनूची' के वर्णन से ज्ञात होता है कि इस मंदिर का शिखर इतना ऊंचा था कि 36 मील दूर आगरा से दिखाई पड़ता था । जन्माष्टमी के दिन जब इस पर दीपक जलाए जाते थे तो उनका प्रकाश आगरा से भली-भांति देखा जा सकता था और बादशाह भी उसे देखा करते थे । मनूची ने स्वयं केशवदेव के मंदिर को कई बार देखा था ।