साँचा:साहित्य…कुछ लेख

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रसखान के दोहे

<sort2 type="inline" separator="&sp;|&sp;"> अमीर ख़ुसरो रसखान ब्रजभाषा अंगुत्तरनिकाय अश्वघोष कालिदास बिहारी हितहरिवंश </sort2>


गोरी सोवे सेज पर
मुख पर डारे केस।
चल ख़ुसरो घर आपने
सांझ भई चहुं देस।।
-अमीर ख़ुसरो