"गोविंदस्वामी" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
अश्वनी भाटिया (चर्चा | योगदान) |
|||
(५ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ६ अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
− | {{menu}} | + | {{menu}} |
{{Incomplete}} | {{Incomplete}} | ||
− | |||
==गोविन्दस्वामी / Govind Swami== | ==गोविन्दस्वामी / Govind Swami== | ||
− | + | गोविन्दस्वामी अंतरी के रहनेवाले सनाढ्य ब्राह्मण थे जो विरक्त की भाँति आकर [[महावन]] में रहने लगे थे। बाद में गोस्वामी [[विट्ठलनाथ]] जी के शिष्य हुए जिन्होंने इनके रचे पदों से प्रसन्न होकर इन्हें [[अष्टछाप]] में लिया। ये [[गोवर्धन]] पर्वत पर रहते थे और उसके पास ही इन्होंने कदंबों का एक अच्छा उपवन लगाया था जो अब तक ‘गोविन्दस्वामी की कदंबखडी’ कहलाता है। | |
− | गोविन्दस्वामी अंतरी के रहनेवाले सनाढ्य ब्राह्मण थे जो विरक्त की भाँति आकर [[महावन]] में रहने लगे | + | इनका रचनाकाल सन् 1543 और 1568 ई. के आसपास माना जा सकता है। |
− | इनका रचनाकाल सन् 1543 और 1568 ई. के आसपास माना जा सकता | + | वे कवि होने के अतिरिक्त बड़े पक्के गवैये थे। [[तानसेन]] कभी-कभी इनका गाना सुनने के लिए आया करते थे। |
− | वे कवि होने के अतिरिक्त बड़े पक्के गवैये | + | ==सम्बंधित लिंक== |
+ | {{कवि}} | ||
+ | [[Category: कोश]] | ||
+ | [[Category:कवि]] | ||
+ | __INDEX__ |
०६:०५, ८ जुलाई २०१० के समय का अवतरण
पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है। |
गोविन्दस्वामी / Govind Swami
गोविन्दस्वामी अंतरी के रहनेवाले सनाढ्य ब्राह्मण थे जो विरक्त की भाँति आकर महावन में रहने लगे थे। बाद में गोस्वामी विट्ठलनाथ जी के शिष्य हुए जिन्होंने इनके रचे पदों से प्रसन्न होकर इन्हें अष्टछाप में लिया। ये गोवर्धन पर्वत पर रहते थे और उसके पास ही इन्होंने कदंबों का एक अच्छा उपवन लगाया था जो अब तक ‘गोविन्दस्वामी की कदंबखडी’ कहलाता है। इनका रचनाकाल सन् 1543 और 1568 ई. के आसपास माना जा सकता है। वे कवि होने के अतिरिक्त बड़े पक्के गवैये थे। तानसेन कभी-कभी इनका गाना सुनने के लिए आया करते थे।
सम्बंधित लिंक
|