"गीता 1:22" के अवतरणों में अंतर
Deepak Sharma (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{subst: गीता }}) |
Deepak Sharma (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति ३: | पंक्ति ३: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
− | ==गीता अध्याय- | + | ==गीता अध्याय-1 श्लोक-22 / Gita Chapter-1 Verse-22== |
{| width="80%" align="center" style="text-align:justify; font-size:130%;padding:5px;background:none;" | {| width="80%" align="center" style="text-align:justify; font-size:130%;padding:5px;background:none;" | ||
|- | |- | ||
| valign="top" | | | valign="top" | | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
− | ''' | + | '''यावदेतात्रिरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान् ।<br />''' |
+ | '''कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन् रणसमुद्यमे ।।22।।''' | ||
</div> | </div> | ||
---- | ---- | ||
पंक्ति २१: | पंक्ति १८: | ||
|- | |- | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | + | और जब तक कि मैं युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इन विपक्षी योद्धाओं को भली प्रकार देख लूँ कि इस युद्ध रूप व्यापार में मुझे किन-किन के साथ युद्ध करना योग्य है, तब तक उसे खड़ा रखिये ।।22।। | |
− | - | ||
− | |||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | + | And keep it there till I have carefully observed these warriors drawn up for battle, and have seen with whom I have to engage in this fight. | |
− | |||
− | |||
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति ३५: | पंक्ति २८: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
− | + | यावत् = जब तक; अहम् = मैं; एतान् = इन; अवस्थितान् = स्थित हुए; योद्वुकामान् = यु़द्व की कामना वालों को; निरीक्षे = अच्छी प्रकार देख लूं(कि); अस्मिन् = इस; रणसमुद्यमें = युद्वरूप व्यापार में; मया =मुझे; कै: = किनकिन के; सह = साथ; योद्वव्यम् = युद्व करना योग्य है। | |
|- | |- | ||
|} | |} |
०६:३२, ८ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-22 / Gita Chapter-1 Verse-22
|
अध्याय एक श्लोक संख्या Verses- Chapter-1 |
1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 |
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>