"गीता 1:26" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{subst: गीता }})
 
पंक्ति ३: पंक्ति ३:
 
<tr>
 
<tr>
 
<td>
 
<td>
==गीता अध्याय-श्लोक-X / Gita Chapter-X Verse-X==  
+
==गीता अध्याय-1 श्लोक-26 / Gita Chapter-1 Verse-26==  
 
{| width="80%" align="center" style="text-align:justify; font-size:130%;padding:5px;background:none;"
 
{| width="80%" align="center" style="text-align:justify; font-size:130%;padding:5px;background:none;"
 
|-
 
|-
पंक्ति ९: पंक्ति ९:
 
'''प्रसंग-'''
 
'''प्रसंग-'''
 
----
 
----
हिन्दी टॅक्स्ट
+
इस प्रकार सबको देखने के बाद अर्जुन ने क्या किया ? अब उसे बतलाते है-
 
----
 
----
 
<div align="center">
 
<div align="center">
'''श्लोक'''
+
'''आचार्यन्मातुलान् भ्रातृन् पुत्रान् पौत्रान् सखींस्तथा ।।26।।'''<br />
 +
'''श्वशुरान् सुहृदश्चैव सेनयोरूभयारपि ।'''
 
</div>
 
</div>
 
----
 
----
पंक्ति २१: पंक्ति २२:
 
|-
 
|-
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
'''शीर्षक'''
+
 
----
+
इसके बाद पृथापुत्र अर्जुन ने उस दोनों ही सेनाओं में स्थित ताऊ-चाचों को, दादों परदादो को, गुरूओं को, मामाओं को, भाइयों को, पुत्रों को, पौत्रों को तथा मित्रों को, ससुरों को और सुहृदों को भी देखा ।।26 और 27वें का पूर्वार्ध ।।
हिन्दी टॅक्स्ट
 
  
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
'''Heading'''
+
 
----
+
Now arjuna saw stationed there in both the armies his uncles, grand-uncles and teachers, even great grand-uncles, maternal uncles, brothers and cousins, sons and nephews, and grand-nephews, even so friends, fathers-in-law and well-wishers as well.(26 &first half of 27)
English text.
 
 
|-
 
|-
 
|}
 
|}
पंक्ति ३५: पंक्ति ३४:
 
|-
 
|-
 
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
 
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
यहाँ संस्कृत शब्दों के अर्थ डालें
+
अथ =उसके उपरान्त; पार्थ: = पृथापुत्र अर्जुन ने; तत्र = उन; उभयो: =दोनों; अपि =ही; सेनायो: = सेनाओं में; स्थितान् = स्थित हुए; पित्रन् = पिता के भाइयों को; पितामहान् = पितामहों को; आचार्यान् = आचार्यों को; मातुलान् = मामों को; भ्रात्रृन् = भाइयों को; पुत्रान् = पुत्रों को;पौत्रान् = पौत्रों को;तथा = तथा; सखीन् = मित्रों को; श्वशुरान् = ससुरों को; सुहृद: = सुदृदों को; अपश्यत् = देखा
 
|-
 
|-
 
|}
 
|}
पंक्ति ४२: पंक्ति ४१:
 
</table>
 
</table>
 
<br />
 
<br />
<div align="center" style="font-size:120%;">'''<= पीछे Prev | आगे Next =>'''</div>   
+
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[<= पीछे Prev]] | [[आगे Next =>]]'''</div>   
 
<br />
 
<br />
 
{{गीता अध्याय 1}}
 
{{गीता अध्याय 1}}
 
{{गीता अध्याय}}
 
{{गीता अध्याय}}
 +
[[category:गीता]]

०७:०४, ८ अक्टूबर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-1 श्लोक-26 / Gita Chapter-1 Verse-26

प्रसंग-


इस प्रकार सबको देखने के बाद अर्जुन ने क्या किया ? अब उसे बतलाते है-


आचार्यन्मातुलान् भ्रातृन् पुत्रान् पौत्रान् सखींस्तथा ।।26।।
श्वशुरान् सुहृदश्चैव सेनयोरूभयारपि ।



इसके बाद पृथापुत्र अर्जुन ने उस दोनों ही सेनाओं में स्थित ताऊ-चाचों को, दादों परदादो को, गुरूओं को, मामाओं को, भाइयों को, पुत्रों को, पौत्रों को तथा मित्रों को, ससुरों को और सुहृदों को भी देखा ।।26 और 27वें का पूर्वार्ध ।।

Now arjuna saw stationed there in both the armies his uncles, grand-uncles and teachers, even great grand-uncles, maternal uncles, brothers and cousins, sons and nephews, and grand-nephews, even so friends, fathers-in-law and well-wishers as well.(26 &first half of 27)


अथ =उसके उपरान्त; पार्थ: = पृथापुत्र अर्जुन ने; तत्र = उन; उभयो: =दोनों; अपि =ही; सेनायो: = सेनाओं में; स्थितान् = स्थित हुए; पित्रन् = पिता के भाइयों को; पितामहान् = पितामहों को; आचार्यान् = आचार्यों को; मातुलान् = मामों को; भ्रात्रृन् = भाइयों को; पुत्रान् = पुत्रों को;पौत्रान् = पौत्रों को;तथा = तथा; सखीन् = मित्रों को; श्वशुरान् = ससुरों को; सुहृद: = सुदृदों को; अपश्यत् = देखा


[[<= पीछे Prev]] | [[आगे Next =>]]


अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>