ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति २५: |
पंक्ति २५: |
| | | |
| | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| |
− | Seeing all those relations present there, arjuna was filled with deep compassion, and uttered these words in sadness. (second half of 27and first half of 28) | + | Seeing all those relations present there, Arjuna was filled with deep compassion, and uttered these words in sadness. (second half of 27and first half of 28) |
| |- | | |- |
| |} | | |} |
पंक्ति ५६: |
पंक्ति ५६: |
| </table> | | </table> |
| [[category:गीता]] | | [[category:गीता]] |
| + | __INDEX__ |
०८:२०, १२ नवम्बर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-27 / Gita Chapter-1 Verse-27
प्रसंग-
बन्धुस्नेह के कारण अर्जुन की कैसी स्थिति हुई, अब ढाई श्लोकों में अर्जुन स्वयं उसका वर्णन करते हैं-
तान्समीक्ष्य स कौन्तेय: सर्वान्बन्धूनवस्थितान् ।।27।।
कृपया परयाविष्टो विषीदन्निदमब्रवीत् ।
|
उन उपस्थित सम्पूर्ण बन्धुओं को देखकर वह कुन्ती पुत्र अर्जुन अत्यन्त करूणा से युक्त होकर शोक करते हुए यह बचन बोले ।।27वें का उत्तरार्ध और 28वें का पूर्वार्ध ।।
|
Seeing all those relations present there, Arjuna was filled with deep compassion, and uttered these words in sadness. (second half of 27and first half of 28)
|
तान् = उन; अवस्थितान् =खड़े हुए; सर्वान् =संपूर्ण; बन्धून् = बन्धून् = बन्धूओं को; समीक्ष्य =देखकर; स: = देखकर; स: =वह; परया =अत्यन्त; कृपया = करूणा से; अविष्ट: = युक्त हुआ; कौन्तेय: = कुन्तीपुत्र अर्जुन: विषीदन् = शोक करता हुआ; इदम् =यह; अब्रवीत् = बोला
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|