गीता 16:22

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
Ashwani Bhatia (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:५५, १३ अक्टूबर २००९ का अवतरण (नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> <table class="gita" width="100%" align="left"> <tr> <td> ==गीता अध्याय-16 श्लोक-21 / Gita Chapter-16 Verse-21== {| width="80...)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ


गीता अध्याय-16 श्लोक-21 / Gita Chapter-16 Verse-21

एतैर्विमुक्त: कौन्तेय तमोद्वारैस्त्रिभिर्नर: ।

आचरत्यात्मन: श्रेयस्ततो याति परां गतिम् ।।22।।


हे अर्जुन ! इन तीनों नरक के द्वारों से मुक्त पुरूष अपने कल्याण का आचरण करता है, इससे वह परमगति को जाता है अर्थात् मुझको प्राप्त हो जाता है ।।22।।

Freed from these three gates of hell, man works his own salvation and thereby attains the supreme goal i.e., God. (22)


कौन्तेय = हे अर्जुन ; एतै: = इन ; त्रिभि: = तीनों ; तमोद्वारै: = नरक के द्वारों से ; विमुक्त: = मुक्त हुआ ; नर: = पुरूष ; आत्मन: = अपने ; श्रेय: = कल्याण का ; आचरति = आचरण करता है ; तत: = इससे (वह) ; पराम् = परम ; गतिम् = गति को ; याति = जाता हे अर्थात् मेरे को प्राप्त होता है ;


<= पीछे Prev | आगे Next =>


अध्याय सोलह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-16

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15, 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>