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− | पौराणिक 16 महाजनपदों में से एक था। [[नर्मदा]] और [[गोदावरी]] नदियों के बीच अवस्थित इस प्रदेश की राजधानी पाटन थी। आधुनिक काल में इस प्रदेश को महाराष्ट्र कहते हैं। [[बौद्ध]] साहित्य में इस प्रदेश का, जो गोदावरी तट पर स्थित था, कई स्थानों पर उल्लेख मिलता है। 'महागोविन्दसूत्तन्त' के अनुसार यह प्रदेश रेणु और [[धृतराष्ट्र]] के समय में विद्यमान था। इस ग्रन्थ में अस्सक के राजा ब्रह्मदत्त का उल्लेख है। सुत्तनिपात, 997 में अस्सक को गोदावरी-तट पर बताया गया है। इसकी राजधानी पोतन, पौदन्य या पैठान([[प्रतिष्ठानपुर]]) में थी। पाणिनि ने अष्टाध्यायी | + | *पौराणिक 16 महाजनपदों में से एक था। |
− | [[ | + | *[[नर्मदा]] और [[गोदावरी]] नदियों के बीच अवस्थित इस प्रदेश की राजधानी पाटन थी। |
− | [[ | + | *आधुनिक काल में इस प्रदेश को महाराष्ट्र कहते हैं। |
− | [[ | + | *[[बौद्ध]] साहित्य में इस प्रदेश का, जो गोदावरी तट पर स्थित था, कई स्थानों पर उल्लेख मिलता है। |
− | [[ | + | *'महागोविन्दसूत्तन्त' के अनुसार यह प्रदेश रेणु और [[धृतराष्ट्र]] के समय में विद्यमान था। इस ग्रन्थ में अस्सक के राजा ब्रह्मदत्त का उल्लेख है। |
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+ | *ग्रीक लेखकों ने अस्सकेनोई(Assukenoi) लोगों का उत्तर-पश्चिमी भारत में उल्लेख किया है। इनका दक्षिणी अश्वकों से ऐतिहासिक सम्बन्ध रहा होगा या यह अश्वकों का रूपान्तर हो सकता है। | ||
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०७:४६, २७ अक्टूबर २०११ के समय का अवतरण
अश्मक / अस्सक / Ashmaka / Assaka
- पौराणिक 16 महाजनपदों में से एक था।
- नर्मदा और गोदावरी नदियों के बीच अवस्थित इस प्रदेश की राजधानी पाटन थी।
- आधुनिक काल में इस प्रदेश को महाराष्ट्र कहते हैं।
- बौद्ध साहित्य में इस प्रदेश का, जो गोदावरी तट पर स्थित था, कई स्थानों पर उल्लेख मिलता है।
- 'महागोविन्दसूत्तन्त' के अनुसार यह प्रदेश रेणु और धृतराष्ट्र के समय में विद्यमान था। इस ग्रन्थ में अस्सक के राजा ब्रह्मदत्त का उल्लेख है।
- सुत्तनिपात<balloon title="सुत्तनिपात,997" style=color:blue>*</balloon> में अस्सक को गोदावरी-तट पर बताया गया है। इसकी राजधानी पोतन, पौदन्य या पैठान(प्रतिष्ठानपुर) में थी।
- पाणिनि ने अष्टाध्यायी<balloon title="अष्टाध्यायी,4, 1, 173" style=color:blue>*</balloon> में भी अश्मकों का उल्लेख किया है।
- सोननंदजातक में अस्सक को अवंती से सम्बंधित कहा गया है।
- अश्मक नामक राजा का उल्लेख वायु पुराण<balloon title="वायु पुराण,88, 177-178" style=color:blue>*</balloon> और महाभारत में है--'अश्मकों नाम राजर्षि: पौदन्यं योन्यवेशयत्'। सम्भवत: इसी राजा के नाम से यह जनपद अश्मक कहलाया।
- ग्रीक लेखकों ने अस्सकेनोई(Assukenoi) लोगों का उत्तर-पश्चिमी भारत में उल्लेख किया है। इनका दक्षिणी अश्वकों से ऐतिहासिक सम्बन्ध रहा होगा या यह अश्वकों का रूपान्तर हो सकता है।
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