ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति ३९: |
पंक्ति ३९: |
| </td> | | </td> |
| </tr> | | </tr> |
− | </table> | + | <tr> |
| + | <td> |
| <br /> | | <br /> |
| <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 14:11|<= पीछे Prev]] | [[गीता 14:13|आगे Next =>]]'''</div> | | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 14:11|<= पीछे Prev]] | [[गीता 14:13|आगे Next =>]]'''</div> |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | <tr> |
| + | <td> |
| <br /> | | <br /> |
| {{गीता अध्याय 14}} | | {{गीता अध्याय 14}} |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | <tr> |
| + | <td> |
| {{गीता अध्याय}} | | {{गीता अध्याय}} |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | </table> |
| [[category:गीता]] | | [[category:गीता]] |
| __INDEX__ | | __INDEX__ |
०९:४९, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-14 श्लोक-12 / Gita Chapter-14 Verse-12
प्रसंग-
इस प्रकार सत्त्वगुण की वृद्धि के लक्षणों का वर्णन करके अब रजोगुण की वृद्धि के लक्षण बतलाते हैं-
लोभ: प्रवृत्तिरारम्भ: कर्मणामशम: स्पृहा ।
रजस्येतानि जायन्ते विवृद्धे भरतर्षभ ।।12।।
|
हे अर्जुन ! रजोगुण के बढ़ने पर लोभ प्रवृत्ति, स्वार्थ बुद्धि से कर्मों का सकाम भाव से आरम्भ, अशान्ति और विषय भोगों की लालसा – ये सब उत्पत्र होते हैं ।।12।।
|
With the preponderance of rajas, arjuna, greed, activity, undertaking of actions with an interested motive, restlessness and a thirst for enjoyment make their appearance. (12)
|
भरतर्षभ = हे अर्जुन ; रजसि = रजोगुण के ; विवृद्धे = बढने पर ; लोभ: = लोभ (और) ; प्रवृत्ति: = सांसारकि चेष्टा (तथा) ; कर्मणाम् = सब प्रकार के कर्मोंका (स्वार्थबुद्धि से) ; आरम्भ: = आरम्भ (एवं) ; अशम: = अशान्ति अर्थात् मनकी चच्चलता (और) ; स्पृहा = विषयभोगों की लालसा ; एतानि = यह सब ; जायन्ते = उत्पन्न होते
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|