"गीता 14:2" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> <table class="gita" width="100%" align="left"> <tr> <td> ==गीता अध्याय-14 श्लोक-2 / Gita Chapter-14 Verse-2== {| width="80%"...) |
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'''इदं ज्ञानमुपाश्रित्य मम साधर्म्यमागता: ।'''<br/> | '''इदं ज्ञानमुपाश्रित्य मम साधर्म्यमागता: ।'''<br/> | ||
'''सर्गेऽपि नोपजायन्ते प्रलये न व्यथन्ति च ।।2।।<br/> | '''सर्गेऽपि नोपजायन्ते प्रलये न व्यथन्ति च ।।2।।<br/> | ||
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− | + | इस ज्ञान को आश्रय करके अर्थात्धारण करके मेरे स्वरूप को प्राप्त हुए पुरूष सृष्टि के आदि में पुन: उत्पत्र नहीं होते और प्रलयकाल में भी व्याकुल नहीं होते ।।2।। | |
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१९:१४, १२ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-14 श्लोक-2 / Gita Chapter-14 Verse-2
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अध्याय चौदह श्लोक संख्या Verses- Chapter-14 |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 |
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