ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति ३४: |
पंक्ति ३४: |
| </td> | | </td> |
| </tr> | | </tr> |
− | </table> | + | <tr> |
| + | <td> |
| <br /> | | <br /> |
− | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 16:2|<= पीछे Prev]] | [[गीता 16:4|आगे Next =>]]'''</div> | + | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 16:2|<= पीछे Prev]] | [[गीता 16:4|आगे Next =>]]'''</div> |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | <tr> |
| + | <td> |
| <br /> | | <br /> |
| {{गीता अध्याय 16}} | | {{गीता अध्याय 16}} |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | <tr> |
| + | <td> |
| {{गीता अध्याय}} | | {{गीता अध्याय}} |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | </table> |
| [[category:गीता]] | | [[category:गीता]] |
| __INDEX__ | | __INDEX__ |
१०:०७, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-16 श्लोक-3 / Gita Chapter-16 Verse-3
तेज: क्षमा धृति: शौचमद्रोहो नातिमानिता ।
भवन्ति संपदं दैवीमभिजातस्य भारत ।।3।।
|
तेज, क्षमा, धैर्य, बाहर की शुद्धि एवं किसी में भी शत्रुभाव का न होना और अपने में पूज्यता के अभिमान का अभाव- ये सब तो हे अर्जुन ! दैवी सम्पदा को लेकर उत्पत्र हुए पुरूष के लक्षण हैं ।।3।।
|
Sublimity, forbearance, fortitude, external purity, bearing enmity to none and absence of self-esteem--these are the marks of him, who is born with the divine gifts arjuna. (3)
|
तेज: = तेज ; क्षमा = क्षमा ; धृति: = धैर्य ; अद्रोह: = किसी में भी शत्रुभाव का न होना (और) ; नातिमानिता = अपने में पूज्यता के अभिमान का अभाव ; शौचम् = बाहर भीतर की शुद्धि (एवं) (यह सब तो) ; भारत = हे अर्जुन ; दैवीम् = दैवी ; संपदम् = संपदाको ; अभिजातस्य = प्राप्त हुए पुरूष के लक्षण ; भवन्ति = हैं ;
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|