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०४:२६, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-41 / Gita Chapter-1 Verse-41
प्रसंग-
वर्णसंकर सन्तान के उत्पत्र होने से क्या-क्या हानियाँ होती हैं, अर्जुन अब उन्हें बतलाते है-
अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रिय:।
स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसंकर: ।।41।।
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हे कृष्ण ! पाप के अधिक बढ जाने से कुल की स्त्रियाँ अत्यन्त दूषित हो जाती हैं और हे वार्ष्णेय ! स्त्रियों के दूषित हो जाने पर वर्णसंकर उत्पत्र होता है ।।41।।
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With the preponderance of vice, krsna, the women of the family become corrupt; and with the corruption of women, o descendant of vrsni, there ensues an intermixture of castes.(41)
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अधर्माभिभवात् = पाप के अधिक बढ़ जाने से; कुलस्त्रिय: = कुल की स्त्रियां; प्रदुष्यन्ति = दूषित हो जाती हैं; स्त्रीषु = स्त्रियों के; दुष्टासु = दूषित होने पर; वर्णसंकर: = वर्णसंकर; जायते = उत्पन्न होता है
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