"गीता 1:45" के अवतरणों में अंतर
Deepak Sharma (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{subst:गीता}}) |
Deepak Sharma (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति ९: | पंक्ति ९: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
− | + | इस प्रकार पश्चाताप करने के बाद अब [[अर्जुन]] अपना निर्णय सुनाते हैं- | |
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
− | ''' | + | '''अहो वत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम् ।'''<br /> |
+ | '''यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं स्वजनमुद्यता: ।।45।।''' | ||
</div> | </div> | ||
---- | ---- | ||
पंक्ति २१: | पंक्ति २२: | ||
|- | |- | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | + | हा ! शोक ! हम लोग बुद्धिमान् होकर भी महान् पाप करने को तैयार हो गये हैं, जो राज्य और सुख के लोभ से स्वजनों को मारने के लिये उद्यत हो गये हैं ।।45।। | |
− | |||
− | |||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | + | Oh what a pity ! though possessed of intelligence we have set our mind on the commission of a great sin in that due to lust for throne and enjoyment we are intent on killing own kinsmen. (45) | |
− | |||
− | |||
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति ३५: | पंक्ति ३२: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
− | + | बत = शोक है (कि); वयम् = हम लोग (बुद्धिमान् होकर भी); महत्पापम् = महान् पाप; कर्तुम् = करने को; व्यवसिता: = तैयार हुए हैं; यत् = जो कि; राज्यसुखलोभेन =राज्य और सुख के लोभ से; स्वजनम् = अपने कुल को; हन्तुम् = मारने के लिये; उद्यता: = उद्यत हुए हैं | |
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति ४६: | पंक्ति ४३: | ||
{{गीता अध्याय 1}} | {{गीता अध्याय 1}} | ||
{{गीता अध्याय}} | {{गीता अध्याय}} | ||
+ | [[category:गीता]] |
०९:३९, ८ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-X श्लोक-X / Gita Chapter-X Verse-X
|
अध्याय एक श्लोक संख्या Verses- Chapter-1 |
1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 |
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>