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यदि मुझ शस्त्ररहित एवं सामना न करने वाले को शस्त्र हाथ में लिये हुए धृतराष्द्र के पुत्र रण में मार डालें तो वह मारना भी मेरे लिये अधिक कल्याणकारक होगा ।।46।।
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यदि मुझ शस्त्ररहित एवं सामना न करने वाले को शस्त्र हाथ में लिये हुए [[धृतराष्ट्र|धृतराष्द्र]] के पुत्र रण में मार डालें तो वह मारना भी मेरे लिये अधिक कल्याणकारक होगा ।।46।।
  
 
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०९:४७, ८ अक्टूबर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-1 श्लोक-46 / Gita Chapter-1 Verse-46

प्रसंग-


भगवान् श्रीकृष्ण से इतनी बात कहने के बाद अर्जुन ने क्या किया, इस जिज्ञासा पर अर्जुन की स्थिति बतलाते हुए संजय कहते हैं-


यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणय: ।
धार्तराष्द्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत् ।।46।।



यदि मुझ शस्त्ररहित एवं सामना न करने वाले को शस्त्र हाथ में लिये हुए धृतराष्द्र के पुत्र रण में मार डालें तो वह मारना भी मेरे लिये अधिक कल्याणकारक होगा ।।46।।

It would be better for me if the sons of dhrtarastra, armed with weapons, killed me in battle while I was unarmed and unresisting.(46)


माम् = मुझ; अशस्त्रम् = शस्त्ररहित: अप्रतीकारम् = न सामना करने वाले को; शस्त्रपाणय: = शस्त्रधारी; धार्तराष्ट्रा: =धृतराष्ट्र के पुत्र; रणे = रण में; हन्यु: = मारें(तो); तत् =वह (मारनाभी); क्षेमतरम् = अतिकल्याण कारक; भवेत् = होगा;


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अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

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