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परंतु उन अल्प बुद्धिवालों का वह फल नाशवान् है तथा वे देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं और मेरे भक्त चाहे जैसे ही भजें, अन्त में वे मुझे को ही प्राप्त होते हैं ।।23।।
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परंतु उन अल्प बुद्धि वालों का वह फल नाशवान् है तथा वे देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं और मेरे भक्त चाहे जैसे भी भजें, अन्त में वे मुझे को ही प्राप्त होते हैं ।।23।।
  
 
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The fruit gained by these people of small understanding, however, is perishable. The worshippers  of gods attain the gods; whereas My devotees, howsoever they worship Me, eventually come to me and me alone.  (23)
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Men of small intelligence worship the demigods, and their fruits are limited and temporary. Those who worship the demigods go to the planets of the demigods, but My devotees ultimately reach My supreme planet.  (23)
 
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१२:५२, १७ नवम्बर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-7 श्लोक-23 / Gita Chapter-7 Verse-23

प्रसंग-


जब भगवान् इतने प्रेमी और दयासागर हैं कि जिस-किसी प्रकार से भी भजने वाले को अपने स्वरूप की प्राप्ति करा ही देते हैं तो फिर सभी लोग उनको क्यों नहीं भजते, इस जिज्ञासा पर कहते हैं-


अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम् ।
देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि ।।23।।



परंतु उन अल्प बुद्धि वालों का वह फल नाशवान् है तथा वे देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं और मेरे भक्त चाहे जैसे भी भजें, अन्त में वे मुझे को ही प्राप्त होते हैं ।।23।।

Men of small intelligence worship the demigods, and their fruits are limited and temporary. Those who worship the demigods go to the planets of the demigods, but My devotees ultimately reach My supreme planet. (23)


तु = परन्तु ; तेषाम् = उन ; अल्पमेधसाम् =अल्प बृद्धि वालों का ; तत् = वह ; फलम् = फल ; अन्तवत् = नाशवान् = भवति = हे (तथा वे) ; देवयज: = देवताओं को पूजने वाले; देवान् = देवताओं को ; यान्ति = प्राप्त होते हैं (और) ; मभ्दक्ता: = मेरे भक्त (चाहे जैसे ही भजें शेष में वे) ; माम् = मेरे को ; अपि = ही ; यान्ति = प्राप्त होते हैं



अध्याय सात श्लोक संख्या
Verses- Chapter-7

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29, 30

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