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यत्र स्नात्वा दिवं यान्ति ये मृतास्तेऽपुनर्भवा:।।<br />
 
यत्र स्नात्वा दिवं यान्ति ये मृतास्तेऽपुनर्भवा:।।<br />
यह उत्तम से उत्तम तीर्थ है । यहाँ स्नान करने से पुनरागमन नहीं होता है । भगवान् शेष या अनन्त देव धाम की रक्षा के लिए यहाँ सब समय विराजमान रहते हैं । श्री [[वसुदेव]] महाराज नवजात शिशु [[कृष्ण]] को लेकर वर्षा में भीगते हुए जब [[यमुना]] को पार कर रहे थे, तब यहीं अनन्त देव ने अपने अनन्त फणों को छत्र बनाकर वृष्टि से उनकी रक्षा की थी ।
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यह उत्तम से उत्तम तीर्थ है। यहाँ स्नान करने से पुनरागमन नहीं होता है। भगवान् शेष या अनन्त देव धाम की रक्षा के लिए यहाँ सब समय विराजमान रहते हैं। श्री [[वसुदेव]] महाराज नवजात शिशु [[कृष्ण]] को लेकर वर्षा में भीगते हुए जब [[यमुना]] को पार कर रहे थे, तब यहीं अनन्त देव ने अपने अनन्त फणों को छत्र बनाकर वृष्टि से उनकी रक्षा की थी।
 
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१२:५५, २ नवम्बर २०१३ के समय का अवतरण

नाग तीर्थ / Naag Tirth

अत: परं नागतीर्थं तीर्थानामुत्तमोत्तमम्।
यत्र स्नात्वा दिवं यान्ति ये मृतास्तेऽपुनर्भवा:।।
यह उत्तम से उत्तम तीर्थ है। यहाँ स्नान करने से पुनरागमन नहीं होता है। भगवान् शेष या अनन्त देव धाम की रक्षा के लिए यहाँ सब समय विराजमान रहते हैं। श्री वसुदेव महाराज नवजात शिशु कृष्ण को लेकर वर्षा में भीगते हुए जब यमुना को पार कर रहे थे, तब यहीं अनन्त देव ने अपने अनन्त फणों को छत्र बनाकर वृष्टि से उनकी रक्षा की थी।

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