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[[यमुना]] के इस घाट पर अवस्थित होकर लोक पितामह [[ब्रह्मा]]जी भगवद् आराधना करते हैं । यहाँ स्नान, आचमन, यमुनाजल पान और निवास करने से मनुष्य ब्रह्माजी के माध्यम से विष्णुलोक को प्राप्त करता है । ब्रह्मा के नाम से इसका नाम ब्रह्मतीर्थ पड़ा है ।
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[[यमुना]] के इस घाट पर अवस्थित होकर लोक पितामह [[ब्रह्मा]]जी भगवद् आराधना करते हैं। यहाँ स्नान, आचमन, यमुनाजल पान और निवास करने से मनुष्य ब्रह्माजी के माध्यम से विष्णुलोक को प्राप्त करता है। ब्रह्मा के नाम से इसका नाम ब्रह्मतीर्थ पड़ा है।
 
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१२:५८, २ नवम्बर २०१३ के समय का अवतरण

ब्रह्मतीर्थ / Brahma Tirth

तीर्थानामुत्तमं तीर्थ ब्रह्मलोकेऽतिविश्रुतम्।
तत्र स्नात्वा च पीत्वा च नियतो नियतासन:।
ब्रह्मणा समनुज्ञतो विष्णुलोकं स गच्छति।।
यमुना के इस घाट पर अवस्थित होकर लोक पितामह ब्रह्माजी भगवद् आराधना करते हैं। यहाँ स्नान, आचमन, यमुनाजल पान और निवास करने से मनुष्य ब्रह्माजी के माध्यम से विष्णुलोक को प्राप्त करता है। ब्रह्मा के नाम से इसका नाम ब्रह्मतीर्थ पड़ा है।

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