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०८:३३, ५ जनवरी २०१० का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-10 / Gita Chapter-10 Verse-10
प्रसंग-
उपर्युक्त प्रकार से भजन करने वाले भक्तों के प्रति भगवान् क्या करते हैं, अगले दो श्लोकों में यह बतलाते हैं-
तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम् ।
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते ।।10।।
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उन निरन्तर मेरे ध्यान आदि में लगे हुए और प्रेमपूर्वक भजने वाले भक्तों को मैं वह तत्व ज्ञान रूप योग देता हूँ, जिससे वे मुझको ही प्राप्त होते हैं ।।10।।
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On those ever united through meditation, with Me and worshipping Me with love, I confer that Yoga of wisdom through which they come to Me. (10)
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तेषाम् = उन; सततयुक्तानाम् = निरन्तर मेरे ध्यान में लगे हुए (और); प्रीतिपूर्वकम् = प्रेमपूर्वक; भजताम् = भजनेवाले भक्तों को(मैं);तम् = वह; बुद्धियोगम् = तत्तवज्ञानरूप योग; ददामि = देता हूं(कि); येन = जिससे; ते = वे; माम् = मेरे को(ही); उपयान्ति = प्राप्त होते हैं
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