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गीता अध्याय-10 श्लोक-6 / Gita Chapter-10 Verse-6
महर्षय: सप्त पूर्वे चत्वारो मनवस्तथा ।
मद्भावा मानसा जाता येषां लोक इमा: प्रजा: ।।6।।
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सात महर्षिजन, चार उनसे भी पूर्व में होने वाले सनकादि तथा <balloon link="index.php?title=स्वयंभुव " title="ये ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से थे जिनका विवाह ब्रह्मा के दाहिने भाग से उत्पन्न शतरूपा से हुआ था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">स्वायंभुव</balloon> आदि चौदह मनु- ये मुझमें भाव वाले सब के सब मेरे संकल्प से उत्पन्न हुए हैं, जिनकी संसार में यह सम्पूर्ण प्रजा है ।।6।।
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The seven great seers, their four elders(sanaka and others), and the fourteen manus or progenitors of makind (such as Svayambuva Me, were born of My will; from them all these creatures in the world have descended. (6)
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सप्त = सात(तो); महर्षय: = महर्षिजन;(और); चत्वार: = चार(उनसे भी); पूर्वे = पूर्व में होनेवाले (सनकादि); मनव: = स्वयंमु आदि चौदह मनु; (एते) = यह; मभ्दावा: = मेरे में भाववाले (सबके सब); मानसा: जाता: मेरे संकल्प से उत्पत्र हुए हैं(कि); येषाम् = जिनकी; लोके = संसार में; इमा: = यह संपूर्ण; प्रजा: = प्रजा है
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