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०६:१७, १९ नवम्बर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-9 श्लोक-2 / Gita Chapter-9 Verse-2
राजविद्या राजगुह्रां पवित्रमिदमुत्तमम् ।
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् ।।2।।
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यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा, सब गोपनीयों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फलनवाल, धर्मयुक्त, साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है ।।2।।
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This knowledge of both the Nirguna and saguna aspects of divinity is a sovereign science, a sovereign secret, supremely holy, most excellent, directly enjoyable, attended with virtue, very easy to practice and imperishable.(2)
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इदम् = यह (ज्ञान) ; राजविद्या = सब विद्याओंका राजा (तथा) ; राजगुह्मम् = सब गोपनीयोंका भी राजा (एवं) ; पवित्रम् = अति पवित्र ; उत्तमम् = उत्तम ; प्रत्यक्षावगमम् = प्रत्यक्ष फल वाला (और); धर्म्यम् = धर्मयुक्त है ; कर्तुम् = साधन करने को ; सुसुखम् = बडा सुगम (और) ; अव्ययम् = अविनाशी है ;
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