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०१:४६, ५ मार्च २०१० का अवतरण
गीता अध्याय-9 श्लोक-5 / Gita Chapter-9 Verse-5
न च मत्थानि भूतानि पश्य मे योगमैश्वरम् ।
भूतभृन्न च भूतस्थो ममात्मा भूतभावन: ।।5।।
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वे सब भूत मुझ में स्थित नहीं हैं; किंतु मेरी ईश्वरीय योगशक्ति को देख कि भूतों का धारण-पोषण करने वाला और भूतों को उत्पन्न करने वाला भर मेरा आत्मा वास्तव में भूतों में स्थित नहीं हैं ।।5।।
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Nay, all those beings abide not in me; but behold the wonderful power of my divine yoga; though the sustainer and creator of beings, my self in reality dwells not in those beings. (5)
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च = और (वे) ; भूतानि = सब भूत ; मे = मेरी ; योगम् = योगमाया (और) ; ऐश्र्वरम् = प्रभाव को ; पश्य = देख (कि) ; भूतभृत् = भूतों का धारण पोषण करने वाला (और) ; मत्स्थानि = मेरे में स्थित ; न = नहीं हैं (किन्तु) ; भूतभावन: = भूतों को उत्पन्न करने वाला ; च = भी ; मम = मेरी ; आत्मा = आत्मा (वास्तव में) ; भूतस्थ: = भूतों में स्थित ; न = नहीं है ;
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