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गीता अध्याय-8 श्लोक-15 / Gita Chapter-8 Verse-15
प्रसंग-
भगवान् के नित्य- निरन्तर चिन्तन से भगवत्प्राप्ति की सुलभता का प्रतिपादन किया, अब उनके पुनर्जन्म न होने की बात कहकर यह दिखलाते हैं कि भगवत्प्राप्त महापुरुषों का भगवान् से फिर कभी वियोग नही होता –
मामुपेत्य पुनर्जन्म दु:खालयमशाश्वतम् ।
नाप्नुवन्ति महात्मान: संसिद्धिं परमां गता: ।।15।।
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परम सिद्धि को प्राप्त महात्माजन मुझ को प्राप्त होकर दुखों के घर एवं क्षणभंगुर पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होते ।।15।।
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Great souls, who have attained the highest perfection, having come to me, are no more subjected to rebirth, which is the abode of sorrow, and transient by nature. (15)
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परमाम् = परम ; संसिद्धिम् = सिद्धि को ;गता: = प्राप्त हुए ; महात्मान: = महात्माजन ; माम् = मेरे को ; उपेत्य = प्राप्त होकर ; दु:खालयम् = हु:ख के स्थान रूप ; अशाश्र्वतम् = क्षणभग्डुर ; पुनर्जन्म = पुनर्जन्म को ; न = नहीं ; आप्नुवन्ति = प्राप्त होते हैं ;
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