ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
गीता अध्याय-1 श्लोक-23 / Gita Chapter-1 Verse-23
प्रसंग-
अर्जुन के इस प्रकार कहने पर भगवान् ने क्या किया ? अब दो श्लोकों में संजय उसका वर्णन करते हैं-
योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागता: ।
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षव: ।।23।।
|
दुर्बुद्धि दुर्योधन का युद्ध में हित चाहने वाले जो-जो ये राजा लोग इस सेना में आये हैं, इन युद्ध करने वालों को मैं देखूँगा ।।23।।
|
I shall scan the well- wishers in this war of evil-minded Duryodhana, whoever have assembled on this side and are ready for the fight. (23)
|
दुर्बुद्वे: = दुर्बद्वि; धार्तराष्ट्रस्य = दुर्योधन का; युद्वे = युद्व में; प्रियचिकीर्षव: = कल्याण चाहने वाले; ये = जो जो; एते = ये राजालोग; अत्र =इस सेना में; समागता: = आये हैं; (तान्) = उन; योत्स्यमानान् = युद्व करने वालों को; अहम् = मैं; अवेक्षे =देखूँगा
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|