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*अश्विनी से उत्पन्न, [[सूर्य]] के औरस पुत्र, दो वैदिक देवता थे।  
 
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*ये देव चिकित्सक थे।  
 
*ये देव चिकित्सक थे।  
*उषा के पहले ये रथारूढ़ होकर आकाश में भ्रमण करते हैं और सम्भव है इसी करण ये सूर्य-पुत्र मान लिये गये हों।  
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*उषा के पहले ये रथारूढ़ होकर आकाश में भ्रमण करते हैं और सम्भव है इसी कारण ये सूर्य-पुत्र मान लिये गये हों।  
 
*पुराणों के अनुसार [[नकुल]] और [[सहदेव]] इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे।  
 
*पुराणों के अनुसार [[नकुल]] और [[सहदेव]] इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे।  
 
*निरूक्तकार इन्हें 'स्वर्ग और पृथ्वी' और 'दिन और रात' के प्रतीक कहते हैं।  
 
*निरूक्तकार इन्हें 'स्वर्ग और पृथ्वी' और 'दिन और रात' के प्रतीक कहते हैं।  
*राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या के पातिव्रत से प्रसन्न होकर महर्षि च्यवन का इन्हांने वृद्धावस्था में कायाकल्प करा उन्हें चिरयौवन प्रदान किया था।  
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*राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या के पातिव्रत से प्रसन्न होकर महर्षि [[च्यवन]] का इन्होंने वृद्धावस्था में कायाकल्प करा उन्हें चिरयौवन प्रदान किया था।  
 
*चिकित्सक होने के कारण इन्हें देवताओं का यज्ञ भाग प्राप्त न था।  
 
*चिकित्सक होने के कारण इन्हें देवताओं का यज्ञ भाग प्राप्त न था।  
*च्यवन ने इन्द्र से इनके लिए संस्तुति कर इन्हें यज्ञ भाग दिलाया था।  
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*च्यवन ने [[इन्द्र]] से इनके लिए संस्तुति कर इन्हें यज्ञ भाग दिलाया था।  
 
*दध्यंग ऋषि के सिर को इन्होंने ही जोड़ा था। पर [[ब्रह्मा]] [[राम]] के विराट रूप का उल्लेख करते हुए [[मंदोदरी|मन्दोदरी]] ने [[रावण]] के समक्ष इन्हें राम का लघु-अंश बताया है।  
 
*दध्यंग ऋषि के सिर को इन्होंने ही जोड़ा था। पर [[ब्रह्मा]] [[राम]] के विराट रूप का उल्लेख करते हुए [[मंदोदरी|मन्दोदरी]] ने [[रावण]] के समक्ष इन्हें राम का लघु-अंश बताया है।  
  

१३:४५, २५ अक्टूबर २००९ का अवतरण

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अश्विनीकुमार / Ashwani Kumar

  • अश्विनी से उत्पन्न, सूर्य के औरस पुत्र, दो वैदिक देवता थे।
  • ये देव चिकित्सक थे।
  • उषा के पहले ये रथारूढ़ होकर आकाश में भ्रमण करते हैं और सम्भव है इसी कारण ये सूर्य-पुत्र मान लिये गये हों।
  • पुराणों के अनुसार नकुल और सहदेव इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे।
  • निरूक्तकार इन्हें 'स्वर्ग और पृथ्वी' और 'दिन और रात' के प्रतीक कहते हैं।
  • राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या के पातिव्रत से प्रसन्न होकर महर्षि च्यवन का इन्होंने वृद्धावस्था में कायाकल्प करा उन्हें चिरयौवन प्रदान किया था।
  • चिकित्सक होने के कारण इन्हें देवताओं का यज्ञ भाग प्राप्त न था।
  • च्यवन ने इन्द्र से इनके लिए संस्तुति कर इन्हें यज्ञ भाग दिलाया था।
  • दध्यंग ऋषि के सिर को इन्होंने ही जोड़ा था। पर ब्रह्मा राम के विराट रूप का उल्लेख करते हुए मन्दोदरी ने रावण के समक्ष इन्हें राम का लघु-अंश बताया है।



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