"गीता 10:19" के अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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− | + | <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। | |
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> के द्वारा योग और विभूतियों का विस्तारपूर्वक पूर्ण रूप से वर्णन करने के लिये प्रार्थना की जाने पर भगवान् पहले अपने विस्तार की अनन्तता बतलाकर प्रधानता से अपनी विभूतियों का वर्णन करने की प्रतिज्ञा करते हैं – | ||
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<div align="center"> | <div align="center"> | ||
'''श्रीभगवानुवाच'''<br/> | '''श्रीभगवानुवाच'''<br/> | ||
'''हन्त ते कथयिष्यामि दिव्या ह्रात्मविभूतय: ।'''<br/> | '''हन्त ते कथयिष्यामि दिव्या ह्रात्मविभूतय: ।'''<br/> | ||
− | '''प्राधान्यत: | + | '''प्राधान्यत: कुरुश्रेष्ठ नास्त्यन्तो विस्तरस्य मे ।।19।।''' |
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'''श्रीभगवान् बोले –''' | '''श्रीभगवान् बोले –''' | ||
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− | हे | + | हे <balloon title="पार्थ, भारत, कुरुश्रेष्ठ, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।" style="color:green">कुरुश्रेष्ठ</balloon> ! अब मैं जो मेरी दिव्य विभूतियाँ हैं, उनको तेरे लिये प्रधानता से कहूँगा; क्योंकि मेरे विस्तार का अन्त नहीं है ।।19।। |
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
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०७:२३, २० मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-19 / Gita Chapter-10 Verse-19
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