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०७:२४, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-10 श्लोक-36 / Gita Chapter-10 Verse-36


द्यूतं छलयतामस्मि
तेजस्तजस्विनामहम् ।
जयोऽस्मि व्यवसायोऽस्मि
सत्त्वं सत्त्ववतामहम् ।।36।।



मैं छल करने वालों में जूआ और प्रभावशाली पुरूषों का प्रभाव हूँ । मैं जीतने वालों का विजय हूँ, निश्चय करने वालों का निश्चय और सात्विक पुरूषों का सात्विक भाव हूँ ।।36।।

I am gambling among deceitful practices, and the glory of the glorious. I am the victory of the victorious, the resolve of the resolute, the goodness of the good. (36)


छलयताम् = छल करनेवालोंमें; द्यूतम् = जुवा(और); तेस्विनाम् = प्रभावशाली पुरूषोंका; तेज: =प्रभाव; (जेतृ्णाम् ) = जीतनेवालोंका; जय: विजय; (व्यवसायिनाम्) = निश्चयकरनेवालों का; व्यवसाय: निश्चय(एवं); सत्त्ववताम् = सात्त्विक पुरूषों का; सत्त्वम् = सात्त्विक भाव



अध्याय दस श्लोक संख्या
Verses- Chapter-10

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42

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