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− | मैं छल करने वालों में जूआ और प्रभावशाली पुरूषों का प्रभाव हूँ । मैं जीतने वालों का विजय हूँ, निश्चय करने वालों का निश्चय और सात्विक पुरूषों का सात्विक भाव हूँ ।।36।। | + | मैं छल करने वालों में जूआ और प्रभावशाली पुरुषों का प्रभाव हूँ । मैं जीतने वालों का विजय हूँ, निश्चय करने वालों का निश्चय और सात्विक पुरुषों का सात्विक भाव हूँ ।।36।। |
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− | छलयताम् = छल करनेवालोंमें; द्यूतम् = जुवा(और); तेस्विनाम् = प्रभावशाली पुरूषोंका; तेज: =प्रभाव; (जेतृ्णाम् ) = जीतनेवालोंका; जय: विजय; (व्यवसायिनाम्) = निश्चयकरनेवालों का; व्यवसाय: निश्चय(एवं); सत्त्ववताम् = सात्त्विक पुरूषों का; सत्त्वम् = सात्त्विक भाव | + | छलयताम् = छल करनेवालोंमें; द्यूतम् = जुवा(और); तेस्विनाम् = प्रभावशाली पुरुषोंका; तेज: =प्रभाव; (जेतृ्णाम् ) = जीतनेवालोंका; जय: विजय; (व्यवसायिनाम्) = निश्चयकरनेवालों का; व्यवसाय: निश्चय(एवं); सत्त्ववताम् = सात्त्विक पुरुषों का; सत्त्वम् = सात्त्विक भाव |
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१२:०२, १४ फ़रवरी २०१० का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-36 / Gita Chapter-10 Verse-36
द्यूतं छलयतामस्मि
तेजस्तजस्विनामहम् ।
जयोऽस्मि व्यवसायोऽस्मि
सत्त्वं सत्त्ववतामहम् ।।36।।
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मैं छल करने वालों में जूआ और प्रभावशाली पुरुषों का प्रभाव हूँ । मैं जीतने वालों का विजय हूँ, निश्चय करने वालों का निश्चय और सात्विक पुरुषों का सात्विक भाव हूँ ।।36।।
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I am gambling among deceitful practices, and the glory of the glorious. I am the victory of the victorious, the resolve of the resolute, the goodness of the good. (36)
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छलयताम् = छल करनेवालोंमें; द्यूतम् = जुवा(और); तेस्विनाम् = प्रभावशाली पुरुषोंका; तेज: =प्रभाव; (जेतृ्णाम् ) = जीतनेवालोंका; जय: विजय; (व्यवसायिनाम्) = निश्चयकरनेवालों का; व्यवसाय: निश्चय(एवं); सत्त्ववताम् = सात्त्विक पुरुषों का; सत्त्वम् = सात्त्विक भाव
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