"गीता 12:17" के अवतरणों में अंतर
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− | जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है- वह भक्ति युक्त | + | जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है- वह भक्ति युक्त पुरुष मुझको प्रिय है ।।17।। |
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− | हृष्यति = हर्षित होता है; द्वेष्टि = द्वेष् करता है; शोचति = शोक करता है; काक्ष्डति = कामना करता है(तथा); य: = जो; शुभाशुभपरित्यागी = शुभ और अशुभ संपूर्ण कर्मों के फल का त्यागी है; भक्तमान् = भक्तियुक्त | + | हृष्यति = हर्षित होता है; द्वेष्टि = द्वेष् करता है; शोचति = शोक करता है; काक्ष्डति = कामना करता है(तथा); य: = जो; शुभाशुभपरित्यागी = शुभ और अशुभ संपूर्ण कर्मों के फल का त्यागी है; भक्तमान् = भक्तियुक्त पुरुष; प्रिय: = प्रिय है; |
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१२:०३, १४ फ़रवरी २०१० का अवतरण
गीता अध्याय-12 श्लोक-17 / Gita Chapter-12 Verse-17
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