"गीता 12:19" के अवतरणों में अंतर
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− | जो निन्दा-स्तुति को समान समझने वाला, मननशील और जिस किसी प्रकार से भी शरीर का निर्वाह होने में सदा ही सन्तुष्ट है और रहने के स्थान में ममता और आसक्ति से रहित है- वह स्थिर बुद्धि भक्तिमान् | + | जो निन्दा-स्तुति को समान समझने वाला, मननशील और जिस किसी प्रकार से भी शरीर का निर्वाह होने में सदा ही सन्तुष्ट है और रहने के स्थान में ममता और आसक्ति से रहित है- वह स्थिर बुद्धि भक्तिमान् पुरुष मुझको प्रिय है ।।19।। |
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− | तुल्यनिन्दास्तुति: = निन्दा स्तुति को समान समझने वाला(और); मौनी = मनननशील है(एवं); येन केनचित् = जिस किस प्रकार से भी शरीर का निर्वाह होने में; संतुष्ट: = सदा ही सन्तुष्ट है(और); अनिकेत: = रहने के स्थान में ममता से रहित है; (स: = वह; स्थिरमति: = स्थिर बुद्धिवाला; भक्तमान् = भक्तिमान् ; नर: = | + | तुल्यनिन्दास्तुति: = निन्दा स्तुति को समान समझने वाला(और); मौनी = मनननशील है(एवं); येन केनचित् = जिस किस प्रकार से भी शरीर का निर्वाह होने में; संतुष्ट: = सदा ही सन्तुष्ट है(और); अनिकेत: = रहने के स्थान में ममता से रहित है; (स: = वह; स्थिरमति: = स्थिर बुद्धिवाला; भक्तमान् = भक्तिमान् ; नर: = पुरुष |
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१२:०३, १४ फ़रवरी २०१० का अवतरण
गीता अध्याय-12 श्लोक-19 / Gita Chapter-12 Verse-19
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