ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति ५६: |
पंक्ति ५६: |
| </tr> | | </tr> |
| </table> | | </table> |
− | [[category:गीता]] | + | [[Category:गीता]] |
| __INDEX__ | | __INDEX__ |
२१:००, ४ मार्च २०१० का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-59 / Gita Chapter-18 Verse-59
प्रसंग-
पूर्वश्लोक में जो अहंकार वश भगवान् की आज्ञा को न मानने से नष्ट हो जाने की बात कही है, उसी की पुष्टि करने के लिये अब भगवान् दो श्लोकों द्वारा <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> की मान्यता में दोष दिखलाते हैं-
यदहंकारमाश्रित्य न योत्स्य इति मन्यसे ।
मिथ्यैष व्यवसायस्ते प्रकृतिस्त्वां नियोक्ष्यति ।।59।।
|
जो तू अहंकार का आश्रय लेकर यह मान रहा है कि 'मैं युद्ध नहीं करूँगा', तेरा यह निश्चय मिथ्या है, क्योंकि तेरा स्वभाव तुझे जबरदस्ती युद्ध में लगा देगा ।।59।।
|
If, taking your stand on egotism, you think, "I will not fight", vain is this resolve of yours; nature will drive you to the act.(59)
|
यत् = जो (तूं) ; अहंकारम् = अहंकारको ; आश्रित्य = अवलम्बन करके ; इति = ऐसे ; मन्यसे = मानता हे (कि) ; न योत्स्ये = मैं युद्ध नहीं करूंगा (तो) ; एष: = यह ; ते = तेरा ; व्यवसाय: = निश्र्चय ; मिथ्या = मिथ्या है ; यत: = क्योंकि ; प्रकृति: = क्षत्रियपन का स्वभाव ; त्वाम् = तेरेको ; नियोक्ष्यति = जबरदस्ती युद्ध में लगा देगा
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|