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११:३०, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-73 / Gita Chapter-18 Verse-73
प्रसंग-
इस प्रकार भगवान् के पूछने पर अब अर्जुन भगवान् से कृतज्ञता प्रकट करते हुए अपनी स्थिति का वर्णन करते हैं-
अर्जुन उवाच-
नष्टो मोह: स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत ।
स्थितोऽस्मि गतसन्देह: करिष्ये वचनं तव ।।73।।
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अर्जुन बोले-
हे अच्युत ! आपकी कृपा से मेरा मोह नष्ट हो गया और मैंने स्मृति प्राप्त कर ली है, अब मैं संशयरहित होकर स्थित हूँ, अत: आपकी आज्ञा का पालन करूँगा ।।73।।
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arjuna said:
Krishna, by Your grace my delusion has fled and wisdom has been gained by me. I stand shorn of all doubts. I will do your bidding.(73)
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च्युत = हे अच्युत ; त्वत्प्रसादात् = आपकी कृपा से ; मम = मेरा ; मोह: = मोह ; नष्ट: = नष्ट हो गया हे (और) ; मया = मुझे ; स्मृति: = स्मृति ; लब्धा = प्राप्त हुई है (इसलिये मैं) ; गतसन्देह: = संशयरहित हुआ ; स्थित: = स्थित ; अस्मि = हूं (और) ; तव = आपकी ; वचनम् = आज्ञा ; करिष्ये = पालन करूंगा
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