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०४:१५, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-17,18 / Gita Chapter-1 Verse-17,18
प्रसंग-
भगवान् श्रीकृष्ण और अर्जुन के पश्चात् पाण्डव सेना के अन्यान्य शूरवीरों द्वारा सब ओर शंख बजाये जाने की बात कहकर अब उस शंखध्वनिका क्या परिणाम हुआ ? उसे संजय बतलाते हैं-
काश्यश्च परमेष्वास: शिखण्डी च महारथ: ।
धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजित: ।।17।।
द्रुपदो द्रौपदेयाश्चे सर्वश: पृथिवीपते ।
सौभद्रश्च महाबाहु: शख्ङान्दध्मु: पृथक्पृथक् ।।18।।
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श्रेष्ठ धनुष वाले काशिराज और महारथी शिखण्डी एवं धृष्टद्युम्न तथा राजा विराट और अजेय सात्यकि, राजा द्रुपद एवं द्रौपदी के पाँचों पुत्र और बड़ी भुजावाले सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु- इन सभी ने, राजन् ! सब ओर से अलग-अलग शंख बजाये ।।17-18।।
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And the excellent archer, the king of kasi and sikhandi the maharathi(greatcar-warrior), dhrastadyaumna and virata; and invincible satyaki, Drupada as well as the five sons of draupadi, and the mighty-armed abhimanyu, son of subhadra, all of them, O lord of the earth, severally blew their respective conchs form all sides:(17-18)
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परमेष्वास: = श्रेष्ठ धनुषवाला; काश्य: = काशिराज; महारथ: = महारथी; विराट: = राजा विराट; अपराजित: = अजेय; सात्याकि: = सात्यकि;
द्रौपदेया: = द्रौपदी के पांचों पुत्र; च = और महाबाहु: =बड़ी भुजा वाला; सौभद्र: = सुभद्रापुत्र अभिमन्यु; सर्वश: = इन सब ने; पृथिवीपते = हे राजन्; पृथक् = अलग; पृथक् =अलग; दध्मु: = बजाये;
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