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भगवत्प्राप्त महात्मा पुरुषों का पुनर्जन्म नहीं होता, इस कथन से यह प्रकट होता है कि दूसरे जीवों का पुनर्जन्म होता है । अत: यहाँ यह जानने की इच्छा होती है कि किस लोक तक पहुँचे हुए जीवों को वापस लौटना पड़ता है । इस पर भगवान् कहते हैं ।  
 
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हे <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
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Great souls, who have attained the highest perfection, having come to me, are no more, subjected to rebirth, which is the abode of sorrow, and transient by nature.  (16)
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Arjuna, From the highest planet in the material world down to the lowest, all are places of misery wherein repeated birth and death take place. But one who attains to My abode, O son of Kunti, never takes birth again.  (16)
 
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०१:४५, ५ मार्च २०१० के समय का अवतरण

गीता अध्याय-8 श्लोक-16 / Gita Chapter-8 Verse-16

प्रसंग-


भगवत्प्राप्त महात्मा पुरुषों का पुनर्जन्म नहीं होता, इस कथन से यह प्रकट होता है कि दूसरे जीवों का पुनर्जन्म होता है । अत: यहाँ यह जानने की इच्छा होती है कि किस लोक तक पहुँचे हुए जीवों को वापस लौटना पड़ता है । इस पर भगवान् कहते हैं ।


आब्रह्राभुवनाल्लोका: पुनरावर्तिनोऽर्जुन ।
मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते ।।16।।



हे <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon>! ब्रह्मलोक पर्यन्त सब लोक पुनरावर्ती हैं, परंतु हे <balloon link="index.php?title=कुन्ती " title="ये वसुदेवजी की बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ थीं। महाभारत में महाराज पाण्डु की पत्नी । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">कुन्ती</balloon> पुत्र ! मुझ को प्राप्त होकर पुनर्जन्म नहीं होता; क्योंकि मैं कालातीत हूँ और यह सब ब्रह्मदि के लोक काल के द्वारा सीमित होने से अनित्य हैं ।।16।।

Arjuna, From the highest planet in the material world down to the lowest, all are places of misery wherein repeated birth and death take place. But one who attains to My abode, O son of Kunti, never takes birth again. (16)


अर्जुन = हे अर्जुन ; लोका: = सब लोक ; पुनरावर्तिन: = पुनरावर्ती स्वभाव वाले हैं ; तु = परन्तु ; कौन्तेय = हे कुन्तीपुत्र ; आब्रह्म भुवनात् = ब्रह्मलोक से लेकर ; माम् = मेरे को ; उपेत्य = प्राप्त होकर (उसका) ; पुनर्जन्म = पुनर्जन्म ; न = नहीं ; विद्यते = होता है



अध्याय आठ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-8

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28

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