"भीष्म पर्व महाभारत" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{Menu}}<br /> ==भीष्म पर्व / Bhishm Parv== भीष्मपर्व के अन्तर्गत 4 (उप) पर्व हैं और इस...) |
Anand Chauhan (चर्चा | योगदान) छो ("भीष्म पर्व महाभारत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
||
(२ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के २ अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
− | {{Menu}} | + | {{Menu}} |
==भीष्म पर्व / Bhishm Parv== | ==भीष्म पर्व / Bhishm Parv== | ||
− | + | भीष्म पर्व के अन्तर्गत 4 (उप) पर्व हैं और इसमें कुल 122 अध्याय हैं। इन 4 (उप) पर्वों के नाम हैं-<br /> | |
*जम्बूखण्डविनिर्माण पर्व, | *जम्बूखण्डविनिर्माण पर्व, | ||
*भूमि पर्व, | *भूमि पर्व, | ||
*श्रीमद्भगवद्गीता पर्व, | *श्रीमद्भगवद्गीता पर्व, | ||
*भीष्मवध पर्व। | *भीष्मवध पर्व। | ||
− | + | भीष्म पर्व में [[कुरुक्षेत्र]] में युद्ध के लिए सन्नद्ध दोनों पक्षों की सेनाओं में युद्धसम्बन्धी नियमों का निर्णय, [[संजय]] द्वारा [[धृतराष्ट्र]] को भूमि का महत्व बतलाते हुए जम्बूखण्ड के द्वीपों का वर्णन, शाकद्वीप तथा [[राहु]], [[सूर्य]] और [[चन्द्र|चन्द्रमा]] का प्रमाण, दोनों पक्षों की सेनाओं का आमने-सामने होना, [[अर्जुन]] के युद्ध-विषयक विषाद तथा व्याहमोह को दूर करने के लिए उन्हें उपदेश ([[गीता|श्रीमद्भगवद्गीता]]), उभय पक्ष के योद्धाओं में भीषण युद्ध तथा [[भीष्म]] के वध और शरशय्या पर लेटकर प्राणत्याग के लिए उत्तरायण की प्रतीक्षा करने आदि का निरूपण है। | |
{{महाभारत}} | {{महाभारत}} | ||
[[Category:कोश]] | [[Category:कोश]] | ||
[[Category:महाभारत]] | [[Category:महाभारत]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
१३:३७, २ फ़रवरी २०१० के समय का अवतरण
भीष्म पर्व / Bhishm Parv
भीष्म पर्व के अन्तर्गत 4 (उप) पर्व हैं और इसमें कुल 122 अध्याय हैं। इन 4 (उप) पर्वों के नाम हैं-
- जम्बूखण्डविनिर्माण पर्व,
- भूमि पर्व,
- श्रीमद्भगवद्गीता पर्व,
- भीष्मवध पर्व।
भीष्म पर्व में कुरुक्षेत्र में युद्ध के लिए सन्नद्ध दोनों पक्षों की सेनाओं में युद्धसम्बन्धी नियमों का निर्णय, संजय द्वारा धृतराष्ट्र को भूमि का महत्व बतलाते हुए जम्बूखण्ड के द्वीपों का वर्णन, शाकद्वीप तथा राहु, सूर्य और चन्द्रमा का प्रमाण, दोनों पक्षों की सेनाओं का आमने-सामने होना, अर्जुन के युद्ध-विषयक विषाद तथा व्याहमोह को दूर करने के लिए उन्हें उपदेश (श्रीमद्भगवद्गीता), उभय पक्ष के योद्धाओं में भीषण युद्ध तथा भीष्म के वध और शरशय्या पर लेटकर प्राणत्याग के लिए उत्तरायण की प्रतीक्षा करने आदि का निरूपण है।