"महावीर जयन्ती" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
छो (Text replace - 'त्यौहार' to 'त्योहार') |
|||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
{{Menu}}<br/ > | {{Menu}}<br/ > | ||
==महावीर जयन्ती / [[:en:Mahavir Jayanti|Mahavir Jayanti]]== | ==महावीर जयन्ती / [[:en:Mahavir Jayanti|Mahavir Jayanti]]== | ||
− | [[जैन|जैनों]] के तीर्थकंर [[महावीर]] जी की जयन्ती उत्साह पूर्वक मनाई जाती है । जैन धर्म के अनुयायी पूर्णिमा के दिन [[हनुमान जयन्ती]] मनाते | + | *[[जैन|जैनों]] के तीर्थकंर [[महावीर]] जी की जयन्ती उत्साह पूर्वक मनाई जाती है । |
+ | *जैन धर्म के अनुयायी पूर्णिमा के दिन [[हनुमान जयन्ती]] मनाते हैं। | ||
+ | *भगवान महावीर का संदेश आज के युग में आशा की किरण की तरह है। | ||
+ | *जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका संदेश है। | ||
+ | *उनके सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय आदि उपदेश एक खुली किताब की तरह है। जो सत्य परंतु साधारण आदमी को कठिन लगते हैं। | ||
+ | *महावीर एक राजा के परिवार में पैदा हुए थे। उनके घर-परिवार में ऐश्वर्य, धन-संपदा की कोई कमी नहीं थी। परंतु युवावस्था में ही उन्होंने संसार की माया-मोह, सुख-ऐश्वर्य और राज्य छोड़कर यातनाओं को सहन किया और नंगे पैर पैदल यात्रा करते रहे। | ||
+ | *महावीर ने स्वामी संसार में बढ़ती हिंसा और अमानवीयता को शांत करने के लिए अहिंसा का उपदेश दिया। | ||
+ | *उनके उपदेशों को जानने-समझने के लिए विशेष प्रयास नहीं करना पडता। | ||
+ | *महावीर ने लोक कल्याण का मार्ग अपने आचार-विचार में अपनाकर धर्म प्रचारक का कार्य किया। | ||
+ | *ऐसे महान चौबीस तीर्थंकरों के अंतिम तीर्थंकर महावीर का जन्मदिवस प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। | ||
+ | *महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्मावलंबी प्रात:काल प्रभातफेरी निकालते हैं। | ||
+ | *उसके बाद भव्य जुलूस के साथ पालकी यात्रा निकालने के बाद स्वर्ण एवं रजत कलशों से महावीर स्वामी का अभिषेक किया जाता है तथा शिखरों पर ध्वजा फहरायी जाती है। | ||
+ | *जैन समाज द्वारा दिन भर अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करके महावीर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। | ||
<br /> | <br /> | ||
{{साँचा:पर्व और त्योहार}} | {{साँचा:पर्व और त्योहार}} |
०३:१६, २८ मार्च २०१० का अवतरण
महावीर जयन्ती / Mahavir Jayanti
- जैनों के तीर्थकंर महावीर जी की जयन्ती उत्साह पूर्वक मनाई जाती है ।
- जैन धर्म के अनुयायी पूर्णिमा के दिन हनुमान जयन्ती मनाते हैं।
- भगवान महावीर का संदेश आज के युग में आशा की किरण की तरह है।
- जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका संदेश है।
- उनके सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय आदि उपदेश एक खुली किताब की तरह है। जो सत्य परंतु साधारण आदमी को कठिन लगते हैं।
- महावीर एक राजा के परिवार में पैदा हुए थे। उनके घर-परिवार में ऐश्वर्य, धन-संपदा की कोई कमी नहीं थी। परंतु युवावस्था में ही उन्होंने संसार की माया-मोह, सुख-ऐश्वर्य और राज्य छोड़कर यातनाओं को सहन किया और नंगे पैर पैदल यात्रा करते रहे।
- महावीर ने स्वामी संसार में बढ़ती हिंसा और अमानवीयता को शांत करने के लिए अहिंसा का उपदेश दिया।
- उनके उपदेशों को जानने-समझने के लिए विशेष प्रयास नहीं करना पडता।
- महावीर ने लोक कल्याण का मार्ग अपने आचार-विचार में अपनाकर धर्म प्रचारक का कार्य किया।
- ऐसे महान चौबीस तीर्थंकरों के अंतिम तीर्थंकर महावीर का जन्मदिवस प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है।
- महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्मावलंबी प्रात:काल प्रभातफेरी निकालते हैं।
- उसके बाद भव्य जुलूस के साथ पालकी यात्रा निकालने के बाद स्वर्ण एवं रजत कलशों से महावीर स्वामी का अभिषेक किया जाता है तथा शिखरों पर ध्वजा फहरायी जाती है।
- जैन समाज द्वारा दिन भर अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करके महावीर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।