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*इस पर्व पर बहनें, भाइयों को राखी बांधती हैं। सामाजिक महत्व का यह पर्व [[ब्रज]] में बड़े उल्लास से मनाया जाता है।
 
*इस पर्व पर बहनें, भाइयों को राखी बांधती हैं। सामाजिक महत्व का यह पर्व [[ब्रज]] में बड़े उल्लास से मनाया जाता है।
*रक्षाबंधन का त्योहार [[श्रावण मास]] की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान [[विष्णु]] ने [[वामन अवतार]] धारण कर बलि राजा के अभिमान को इसी दिन चकनाचूर किया था। इसलिए यह त्योहार 'बलेव' नाम से भी प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र राज्य में नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से यह त्योहार विख्यात है। इस दिन लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं।
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*रक्षाबन्धन का त्योहार [[श्रावण मास]] की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान [[विष्णु]] ने [[वामन अवतार]] धारण कर बलि राजा के अभिमान को इसी दिन चकनाचूर किया था। इसलिए यह त्योहार 'बलेव' नाम से भी प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र राज्य में नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से यह त्योहार विख्यात है। इस दिन लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं।
*रक्षाबंधन के संबंध में एक अन्य पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है। देवों और दानवों के युद्ध में जब [[देवता]] हारने लगे, तब वे देवराज [[इन्द्र]] के पास गए। देवताओं को भयभीत देखकर [[शची|इन्द्राणी]] ने उनके हाथों में रक्षासूत्र बाँध दिया। इससे देवताओं का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने दानवों पर विजय प्राप्त की। तभी से राखी बाँधने की प्रथा शुरू हुई। दूसरी मान्यता के अनुसार ऋषि-मुनियों के उपदेश की पूर्णाहुति इसी दिन होती थी। वे राजाओं के हाथों में रक्षासूत्र बाँधते थे। इसलिए आज भी इस दिन ब्राह्मण अपने यजमानों को राखी बाँधते हैं।
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*रक्षाबन्धन के संबंध में एक अन्य पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है। देवों और दानवों के युद्ध में जब [[देवता]] हारने लगे, तब वे देवराज [[इन्द्र]] के पास गए। देवताओं को भयभीत देखकर [[शची|इन्द्राणी]] ने उनके हाथों में रक्षासूत्र बाँध दिया। इससे देवताओं का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने दानवों पर विजय प्राप्त की। तभी से राखी बाँधने की प्रथा शुरू हुई। दूसरी मान्यता के अनुसार ऋषि-मुनियों के उपदेश की पूर्णाहुति इसी दिन होती थी। वे राजाओं के हाथों में रक्षासूत्र बाँधते थे। इसलिए आज भी इस दिन ब्राह्मण अपने यजमानों को राखी बाँधते हैं।
*रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई को प्यार से राखी बाँधती है और उसके लिए अनेक शुभकामनाएँ करती है। भाई अपनी बहन को यथाशक्ति उपहार देता है। बीते हुए बचपन की झूमती हुई याद भाई-बहन की आँखों के सामने नाचने लगती है। सचमुच, रक्षाबंधन का त्योहार हर भाई को बहन के प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलाता है।
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[[चित्र:Raksha-Bandhan.jpg|thumb|left|भाई को राखी बांधती बहन]]
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*रक्षाबन्धन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई को प्यार से राखी बाँधती है और उसके लिए अनेक शुभकामनाएँ करती है। भाई अपनी बहन को यथाशक्ति उपहार देता है। बीते हुए बचपन की झूमती हुई याद भाई-बहन की आँखों के सामने नाचने लगती है। सचमुच, रक्षाबन्धन का त्योहार हर भाई को बहन के प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलाता है।
 
*राखी के इन धागों ने अनेक क़ुर्बानिया कराई हैं। चित्तौड़ की राजमाता कर्मवती ने [[मुग़ल]] बादशाह [[हुमायूँ]] को राखी भेजकर अपना भाई बनाया था और वह भी संकट के समय बहन कर्मवती की रक्षा के लिए चित्तौड़ आ पहुँचा था। आजकल तो बहन-भाई को राखी बाँध देती है और भाई-बहन को कुछ उपहार देकर अपना कर्तव्य पूरा कर लेता है। लोग इस बात को भूल गए हैं कि राखी के धागों का संबंध मन की पवित्र भावनाओं से हैं।
 
*राखी के इन धागों ने अनेक क़ुर्बानिया कराई हैं। चित्तौड़ की राजमाता कर्मवती ने [[मुग़ल]] बादशाह [[हुमायूँ]] को राखी भेजकर अपना भाई बनाया था और वह भी संकट के समय बहन कर्मवती की रक्षा के लिए चित्तौड़ आ पहुँचा था। आजकल तो बहन-भाई को राखी बाँध देती है और भाई-बहन को कुछ उपहार देकर अपना कर्तव्य पूरा कर लेता है। लोग इस बात को भूल गए हैं कि राखी के धागों का संबंध मन की पवित्र भावनाओं से हैं।
 
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०५:३२, १७ अगस्त २०१० का अवतरण

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रक्षाबन्धन / Raksha Bandhan

थंबनेल बनाने में त्रुटि हुई है: /bin/bash: /usr/local/bin/convert: No such file or directory Error code: 127
  • इस पर्व पर बहनें, भाइयों को राखी बांधती हैं। सामाजिक महत्व का यह पर्व ब्रज में बड़े उल्लास से मनाया जाता है।
  • रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर बलि राजा के अभिमान को इसी दिन चकनाचूर किया था। इसलिए यह त्योहार 'बलेव' नाम से भी प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र राज्य में नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से यह त्योहार विख्यात है। इस दिन लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं।
  • रक्षाबन्धन के संबंध में एक अन्य पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है। देवों और दानवों के युद्ध में जब देवता हारने लगे, तब वे देवराज इन्द्र के पास गए। देवताओं को भयभीत देखकर इन्द्राणी ने उनके हाथों में रक्षासूत्र बाँध दिया। इससे देवताओं का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने दानवों पर विजय प्राप्त की। तभी से राखी बाँधने की प्रथा शुरू हुई। दूसरी मान्यता के अनुसार ऋषि-मुनियों के उपदेश की पूर्णाहुति इसी दिन होती थी। वे राजाओं के हाथों में रक्षासूत्र बाँधते थे। इसलिए आज भी इस दिन ब्राह्मण अपने यजमानों को राखी बाँधते हैं।
थंबनेल बनाने में त्रुटि हुई है: /bin/bash: /usr/local/bin/convert: No such file or directory Error code: 127
भाई को राखी बांधती बहन
  • रक्षाबन्धन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई को प्यार से राखी बाँधती है और उसके लिए अनेक शुभकामनाएँ करती है। भाई अपनी बहन को यथाशक्ति उपहार देता है। बीते हुए बचपन की झूमती हुई याद भाई-बहन की आँखों के सामने नाचने लगती है। सचमुच, रक्षाबन्धन का त्योहार हर भाई को बहन के प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलाता है।
  • राखी के इन धागों ने अनेक क़ुर्बानिया कराई हैं। चित्तौड़ की राजमाता कर्मवती ने मुग़ल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर अपना भाई बनाया था और वह भी संकट के समय बहन कर्मवती की रक्षा के लिए चित्तौड़ आ पहुँचा था। आजकल तो बहन-भाई को राखी बाँध देती है और भाई-बहन को कुछ उपहार देकर अपना कर्तव्य पूरा कर लेता है। लोग इस बात को भूल गए हैं कि राखी के धागों का संबंध मन की पवित्र भावनाओं से हैं।

सम्बंधित लिंक

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