"वामन जयन्ती" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
अश्वनी भाटिया (चर्चा | योगदान) (नया पन्ना: {{menu}} '''वामन जयन्ती'''<br /> thumb|[[वामन अवतार<br />Vamana Avtar]] {{main|वामन अवत…) |
अश्वनी भाटिया (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति ३: | पंक्ति ३: | ||
[[चित्र:Vamana.jpg|thumb|[[वामन अवतार]]<br />Vamana Avtar]] | [[चित्र:Vamana.jpg|thumb|[[वामन अवतार]]<br />Vamana Avtar]] | ||
{{main|वामन अवतार}} | {{main|वामन अवतार}} | ||
− | * | + | *भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है। |
− | *यह व्रत | + | *यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की [[द्वादशी]] पर करना चाहिए। |
*इस तिथि पर मध्याह्न में [[विष्णु]] का [[वामन अवतार]] हुआ था, उस समय [[श्रवण नक्षत्र]] था।<ref>सर्वपापमोचन; गदाधरपद्धति (कालसार, पृष्ठ 147-148); व्रतार्क (पाण्डुलिपि, 244ए से 247ए तक, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)</ref> | *इस तिथि पर मध्याह्न में [[विष्णु]] का [[वामन अवतार]] हुआ था, उस समय [[श्रवण नक्षत्र]] था।<ref>सर्वपापमोचन; गदाधरपद्धति (कालसार, पृष्ठ 147-148); व्रतार्क (पाण्डुलिपि, 244ए से 247ए तक, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)</ref> | ||
*[[भागवत पुराण]]<ref>भागवतपुराण (8, अध्याय 17-23)। अध्याय 18 (श्लोक 5-6)</ref> में ऐसा आया है कि वामन [[श्रावण मास]] की द्वादशी पर प्रकट हुए थे, जबकि श्रवण नक्षत्र था, मुहूर्त अभिजित था तथा वह तिथि [[विजयद्वादशी]] कही जाती है। | *[[भागवत पुराण]]<ref>भागवतपुराण (8, अध्याय 17-23)। अध्याय 18 (श्लोक 5-6)</ref> में ऐसा आया है कि वामन [[श्रावण मास]] की द्वादशी पर प्रकट हुए थे, जबकि श्रवण नक्षत्र था, मुहूर्त अभिजित था तथा वह तिथि [[विजयद्वादशी]] कही जाती है। |
१३:०९, १३ सितम्बर २०१० के समय का अवतरण
वामन जयन्ती
थंबनेल बनाने में त्रुटि हुई है: /bin/bash: /usr/local/bin/convert: No such file or directory Error code: 127
मुख्य लेख: वामन अवतार
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर करना चाहिए।
- इस तिथि पर मध्याह्न में विष्णु का वामन अवतार हुआ था, उस समय श्रवण नक्षत्र था।[१]
- भागवत पुराण[२] में ऐसा आया है कि वामन श्रावण मास की द्वादशी पर प्रकट हुए थे, जबकि श्रवण नक्षत्र था, मुहूर्त अभिजित था तथा वह तिथि विजयद्वादशी कही जाती है।
- हेमाद्रि[३] का अधिकांश व्रतार्क से उर्द्धरत है।