"सप्तर्षि" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
अश्वनी भाटिया (चर्चा | योगदान) |
Maintenance (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - 'Category:ॠषि मुनि' to 'Category:ऋषि मुनि') |
||
पंक्ति ४२: | पंक्ति ४२: | ||
[[en:Saptrishi]] | [[en:Saptrishi]] | ||
[[Category: कोश]] | [[Category: कोश]] | ||
− | [[Category: | + | [[Category:ऋषि मुनि]] |
[[Category:पौराणिक इतिहास]] | [[Category:पौराणिक इतिहास]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
०१:३८, २३ अक्टूबर २०११ का अवतरण
सप्तर्षि / Saptarishi
- सप्तर्षि-मण्डल आकाश में सुप्रसिद्ध ज्योतिर्मण्डलों में है। इसके अधिष्ठाता ऋषिगण लोक में ज्ञान-परम्परा को सुरक्षित रखते हैं। अधिकारी जिज्ञासु को प्रत्यक्ष या परोक्ष, जैसा वह अधिकारी हो, तत्त्वज्ञान की ओर उन्मुख करके मुक्ति-पथ में लगाते हैं।
- प्रत्येक मन्वन्तर में इनमें से कुछ ऋषि परिवर्तित होते रहते हैं।
- विष्णु पुराण के अनुसार इनकी नामावली इस प्रकार है-
- प्रथम स्वायम्भुव मन्वन्तर में- मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु और वशिष्ठ।
- द्वितीय स्वारोचिष मन्वन्तर में— ऊर्ज्ज, स्तम्भ, वात, प्राण, पृषभ, निरय और परीवान।
- तृतीय उत्तम मन्वन्तर में— महर्षि वशिष्ठ के सातों पुत्र।
- चतुर्थ तामस मन्वन्तर में— ज्योतिर्धामा, पृथु, काव्य, चैत्र, अग्नि, वनक और पीवर।
- पंचम रैवत मन्वन्तर में— हिरण्यरोमा, वेदश्री, ऊर्ध्वबाहु, वेदबाहु, सुधामा, पर्जन्य और महामुनि।
- षष्ठ चाक्षुष मन्वन्तर में— सुमेधा, विरजा, हविष्मान, उतम, मधु, अतिनामा और सहिष्णु।
- वर्तमान सप्तम वैवस्वत मन्वन्तर में— कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज।
- अष्टम सावर्णिक मन्वन्तर में— गालव, दीप्तिमान, परशुराम, अश्वत्थामा, कृप, ऋष्यश्रृंग और व्यास।
- नवम दक्षसावर्णि मन्वन्तर में— मेधातिथि, वसु, सत्य, ज्योतिष्मान, द्युतिमान, सबन और भव्य।
- दशम ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर में— तपोमूर्ति, हविष्मान, सुकृत, सत्य, नाभाग, अप्रतिमौजा और सत्यकेतु।
- एकादश धर्मसावर्णि मन्वन्तर में— वपुष्मान्, घृणि, आरूणि, नि:स्वर, हविष्मान्, अनघ, और अग्नितेजा।
- द्वादश रुद्रसावर्णि मन्वन्तर में— तपोद्युति, तपस्वी, सुतपा, तपोमूर्ति, तपोनिधि, तपोरति और तपोधृति।
- त्रयोदश देवसावर्णि मन्वन्तर में— धृतिमान्, अव्यय, तत्त्वदर्शी, निरूत्सुक, निर्मोह, सुतपा और निष्प्रकम्प।
- चतुर्दश इन्द्रसावर्णि मन्वन्तर में— अग्नीध्र, अग्नि, बाहु, शुचि, युक्त, मागध, शुक्र और अजित।।
- इन ऋषियों में से सब कल्पान्त-चिरजीवी, मुक्तात्मा और दिव्यदेहधारी हैं।
- 'शतपथ ब्राह्मण' के अनुसार
- 'महाभारत' के अनुसार
- इसके अतिरिक्त सप्तऋषि से उन सात तारों का बोध होता है, जो ध्रुवतारा की परिक्रमा करते हैं।
सम्बंधित लिंक
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- ॠषि-मुनि
- अंगिरा|अंगिरा
- अगस्त्य|अगस्त्य
- अत्रि|अत्रि
- अदिति|अदिति
- अनुसूया|अनुसूया
- अपाला|अपाला
- अरुन्धती|अरुन्धती
- आंगिरस|आंगिरस
- उद्दालक|उद्दालक
- कण्व|कण्व
- कपिल|कपिल
- कश्यप|कश्यप
- कात्यायन|कात्यायन
- क्रतु|क्रतु
- गार्गी|गार्गी
- गालव|गालव
- गौतम|गौतम
- घोषा|घोषा
- चरक|चरक
- च्यवन|च्यवन
- त्रिजट मुनि|त्रिजट
- जैमिनि|जैमिनि
- दत्तात्रेय|दत्तात्रेय
- दधीचि|दधीचि
- दिति|दिति
- दुर्वासा|दुर्वासा
- धन्वन्तरि|धन्वन्तरि
- नारद|नारद
- पतंजलि|पतंजलि
- परशुराम|परशुराम
- पराशर|पराशर
- पुलह|पुलह
- पिप्पलाद|पिप्पलाद
- पुलस्त्य|पुलस्त्य
- भारद्वाज|भारद्वाज
- भृगु|भृगु
- मरीचि|मरीचि
- याज्ञवल्क्य|याज्ञवल्क्य
- रैक्व|रैक्व
- लोपामुद्रा|लोपामुद्रा
- वसिष्ठ|वसिष्ठ
- वाल्मीकि|वाल्मीकि
- विश्वामित्र|विश्वामित्र
- व्यास|व्यास
- शुकदेव|शुकदेव
- शुक्राचार्य|शुक्राचार्य
- सत्यकाम जाबाल|सत्यकाम जाबाल
- सप्तर्षि|सप्तर्षि
</sidebar>