नृसिंहोत्तरतापनीयोपनिषद

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नृसिंहोत्तरतापनीयोपनिषद

  • अथर्ववेदीय यह उपनिषद देवगण एवं प्रजापति के बीच प्रश्नोत्तर के रूप 'साकार' और 'निराकार' ब्रह्म का निरूपण करता है।
  • यह उपनिषद पांच खण्डों में विभक्त है।
  • ये पांचों खण्ड 'उपनिषद' नाम से ही जाने जाते हैं।
  • इनमें परमात्मा को परमपुरूषार्थी नृसिंह-रूप में व्यक्त किया गया है।
  • इस परमपुरूषार्थी परमपुरूष के तप से ही सृष्टि विकसित हुई है।
  • सृष्टि-विकास के क्रम को स्पष्ट करने वाले उपनिषद को 'पूर्वतापिनी' कहा जाता है।




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