"गीता 13:15" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> <table class="gita" width="100%" align="left"> <tr> <td> ==गीता अध्याय-13 श्लोक-2 / Gita Chapter-13 Verse-2== {| width="80%"...)
 
छो (Text replace - '<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>' to '<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>')
 
(३ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ६ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{menu}}<br />
+
{{menu}}
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<tr>
 
<tr>
 
<td>
 
<td>
==गीता अध्याय-13  श्लोक-2 / Gita Chapter-13 Verse-2==  
+
==गीता अध्याय-13  श्लोक-15 / Gita Chapter-13 Verse-15==  
 
{| width="80%" align="center" style="text-align:justify; font-size:130%;padding:5px;background:none;"
 
{| width="80%" align="center" style="text-align:justify; font-size:130%;padding:5px;background:none;"
 
|-
 
|-
पंक्ति १९: पंक्ति १९:
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
  
वह चराचर सबं भूतों के बाहर-भीतर परिपूर्ण है, और चर-अचररूप भी वही है और वह सूक्ष्म होने से अविज्ञेय है तथा अति समीप में और दूर में भी स्थित वही है ।।15।।
+
वह चराचर सब भूतों के बाहर-भीतर परिपूर्ण है, और चर-अचर रूप भी वही है और वह सूक्ष्म होने से अविज्ञेय है तथा अति समीप में और दूर में भी स्थित वही है ।।15।।
  
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
पंक्ति ३४: पंक्ति ३४:
 
</td>
 
</td>
 
</tr>
 
</tr>
</table>
+
<tr>
 +
<td>
 
<br />
 
<br />
 
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 13:14|<= पीछे Prev]] | [[गीता 13:16|आगे Next =>]]'''</div>  
 
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 13:14|<= पीछे Prev]] | [[गीता 13:16|आगे Next =>]]'''</div>  
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 
<br />
 
<br />
 
{{गीता अध्याय 13}}
 
{{गीता अध्याय 13}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 
{{गीता अध्याय}}
 
{{गीता अध्याय}}
[[category:गीता]]
+
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{गीता2}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{महाभारत}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
</table>
 +
[[Category:गीता]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

१२:१८, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण

गीता अध्याय-13 श्लोक-15 / Gita Chapter-13 Verse-15

बहिरन्तश्च भूतानामचरं चरमेव च ।
सूक्ष्मत्वात्तदविज्ञेयं दूरस्थं चान्तिके च तत् ।।15।।



वह चराचर सब भूतों के बाहर-भीतर परिपूर्ण है, और चर-अचर रूप भी वही है और वह सूक्ष्म होने से अविज्ञेय है तथा अति समीप में और दूर में भी स्थित वही है ।।15।।

It exists without and within all beings, and constitutes the animate and inanimate creation as well. And by reason of its subttelty. It is incomprehensible; it is close at hand stand afar too. (15)


भूतानाम् = चराचर सब भूतों के ; च = और ; चरम् = चर ; अचरम् = अचररूप ; एव = भी (वही ) है ; च = और ; तत् = वह ; सूक्ष्मत्वात् = सूक्ष्म होने से ; बहि: = बाहर ; अन्त: = भीतर परिपूर्ण है ; अविज्ञेयम् = अविज्ञेय है ; च = तथा ; अन्तिके = अति समीप में ; च = और ; दूरस्थम् दूर में भी स्थित ; तत् = वही है ;



अध्याय तेरह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-13

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>