गीता 15:14

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गीता अध्याय-15 श्लोक-14 / Gita Chapter-15 Verse-14

आहं वैश्वानरो भूत्वा प्राणिनां देहमाश्रित: ।
प्राणापानसमायुक्त:पचाम्यत्रं चतुर्विधम् ।।14।।



मैं ही सब प्रणियों के शरीर में स्थित रहने वाला प्राण और अपान से संयुक्त वैश्वानर अग्नि रूप होकर चार प्रकार के अत्र को पचाता हूँ ।।14।।

Taking the form of fire lodged in the body of all creatures and united with the Prana (ingoing) and Apana (outgoing) breaths, it is I who consume the four kinds of food. (14)


अहम् = मैं (ही) ; प्राणिनाम् = सब प्राणियों के ; देहम् = शरीर में ; आश्रित: = स्थित हुआ ; वैश्र्वानर: = वैश्र्वानर अग्निरूप ; भूत्वा = होकर ; प्राणापानसमायुक्त: = प्राण और अपान से युक्त हुआ ; चतुर्विधत् = चार प्रकार के ; अन्नम् = अन्नको ; पचामि = पचाता हूं ;


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