लाट्यायन श्रौतसूत्र / Latyayan Shrautsutra
'गोभिलगृह्यकर्म प्रकाशिका' के अनुसार कौथुम शाखीय सामवेदीय श्रौतसूत्रों में इसका तृतीय स्थान है। इसमें 10 प्रपाठक हैं। सप्तम प्रपाठक में 13 खाण्डिकाएँ हैं और दशम में 201, शेष प्रपाठकों में से प्रत्येक में 12 खण्डिकाएँ हैं। इस प्रकार लाट्यायन श्रौतसूत्र में कुल 129 खण्डिकाएँ हैं। कुमारिल भट्ट के कथनानुसार 'लाट्यायन' का नाम लाट प्रदेश (गुजरात) के आधार पर है। तदनुसार किसी लाटीय व्यक्ति के द्वारा निर्मित होने के कारण यह लाट्यायन कहलाता है।<balloon title="तन्त्रवार्तिक 1.3.11" style=color:blue>*</balloon>
प्रपाठक–क्रम
कल्पानुपद तथा द्राह्ययायण श्रौतसूत्र में लाट्यायन का उल्लेख है। प्रपाठक–क्रम से पतिपाद्य विषय का विवरण अधोलिखित है:–
प्रपाठक |
विषय
|
प्रपाठक 1 |
परिभाषाएँ तथा ऋत्विग्वरण।
|
प्रपाठक 2 |
अग्निष्टोम एवं इससे सम्बद्ध याग।
|
प्रपाठक 3 |
षोडशिविषयक द्रव्य विधान।
|
प्रपाठक 4 |
वाजिभक्षण।
|
प्रपाठक 5 |
चातुर्मास्य, वरुण प्रघास तथा सोमचमस।
|
प्रपाठक 6 |
सामविधान तथा द्वयक्षर प्रतिहार।
|
प्रपाठक 7 |
चतुरक्षर प्रतिहार तथा गायत्रगान।
|
प्रपाठक 8 |
एकाह, अहीन तथा वाजपेय याग।
|
प्रपाठक 9 |
राजसूय।
|
प्रपाठक 10 |
सत्रयाग तथा उसकी परिभाषाएँ।
|
इसमें कुल 2641 सूत्र हैं। याग–क्रम को छोड़कर, विषयवस्तु की दृष्टि से यह ताण्ड्य ब्राह्मण का प्राय: अनुसरण करता है। इसलिए ब्राह्मणोक्त विधियों के स्पष्टीकरण के लिए सायणाचार्य सदृश भाष्यकार प्राय: इसी को उद्धृत करते हैं। लाट्यायन श्रौतसूत्र में ताण्ड्य के अतिरिक्त धानञ्जय्य, शाण्डिल्यायन, गौतम, शौचिवृक्षि, क्षैरकलम्भि, कौत्स, वार्षगण्य, लामकायन, राणायनी–पुत्र, शाट्यायनि तथा शालङ्कायनि नामक आचार्यों के मतों का उल्लेख हुआ है। कुमारिल भट्ट का कथन है कि इसमें 'स्तुवीरन' जैसे अपाणिनीय प्रयोग पाए जाते हैं।
व्याख्याएँ
इस श्रौतसूत्र पर अग्निस्वामीकृत प्राचीन भाष्य प्राप्त होता है। अग्निस्वामी का अनेक प्राचीन व्याख्याकारों ने उल्लेख किया है। अस्को परपोला के अनुसार अग्निस्वामी मगध निवासी थे, क्योंकि उन्होंने कुमारगुप्त का उल्लेख किया है।[१] दूसरी व्याख्या रामकृष्ण दीक्षित उपाख्य नानाभाई (17वीं शती) की है। अग्निष्टोम भाग पर मुकुन्द झा बख्शी की व्याख्या भी प्रकाशित हुई है।
संस्करण
- आनन्द चन्द्र वेदान्तवागीश के द्वारा सम्पादित अग्निस्वामी के भाष्य सहित सम्पूर्ण लाट्यायन श्रौतसूत्र 'बिब्लियोथिका इण्डिका' ग्रन्थमाला में सन् 1870–72 ई. में प्रकाशित हुआ था।
- अग्निष्टोमान्त प्रकरण चौखम्बा संस्कृत ग्रन्थमाला, वाराणसी से सन् 1932 ई. में प्रकाशित हुआ था।
- अस्को परपोला (हेलसिंकी) ने इसका अनुशीलन प्रस्तुत किया है।
टीका टिप्पणी
- ↑ Srauta Sutras of Latyayana and Drahyayana- A. Parpala, Helsinki, 1968.
सम्बंधित लिंक
श्रौतसूत्र |
---|
| ॠग्वेदीय श्रौतसूत्र | | | शुक्ल-कृष्ण यजुर्वेदीय | | | सामवेदीय श्रौतसूत्र | | | अथर्ववेदीय श्रौतसूत्र | |
|
श्रुतियां |
---|
| उपनिषद | | ॠग्वेदीय उपनिषद | | | यजुर्वेदीय उपनिषद |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय उपनिषद | | | अथर्ववेदीय उपनिषद | | | | | ॠग्वेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ | | | यजुर्वेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ | | | अथर्ववेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ | | |
सूत्र-ग्रन्थ | | ॠग्वेदीय सूत्र-ग्रन्थ | | | यजुर्वेदीय सूत्र-ग्रन्थ |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय सूत्र-ग्रन्थ | | | अथर्ववेदीय सूत्र-ग्रन्थ | |
|
श्रुतियां |
---|
| शाखा | | शाखा | | | मन्त्र-संहिता | | | आरण्यक | | |
प्रातिसाख्य एवं अनुक्रमणिका | | ॠग्वेदीय प्रातिसाख्य | | | यजुर्वेदीय प्रातिसाख्य |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय प्रातिसाख्य | |
|
उपवेद और वेदांग |
---|
| उपवेद |
| | वेदांग |
कल्प | | | शिक्षा | | | व्याकरण | | | निरुक्त्त | | | छन्द | | | ज्योतिष | |
|
|
स्मृति |
---|
| स्मृतिग्रन्थ | | | पुराण | | | महाकाव्य | | | दर्शन | | | निबन्ध | | | आगम |
वैष्णवागम | | | शैवागम | | | शाक्तागम |
वामागम | | | मिश्रमार्ग | | | समयाचार | | | तान्त्रिक साधना | |
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- ॠग्वेदीय श्रौतसूत्र
- शांखायन श्रौतसूत्र|शांखायन श्रौतसूत्र
- आश्वलायन श्रौतसूत्र|आश्वलायन श्रौतसूत्र
- शुक्ल-कृष्ण यजुर्वेदीय
- बौधायन श्रौतसूत्र|बौधायन श्रौतसूत्र
- भारद्वाज श्रौतसूत्र|भारद्वाज श्रौतसूत्र
- आपस्तम्ब श्रौतसूत्र|आपस्तम्ब श्रौतसूत्र
- वाधूल श्रौतसूत्र|वाधूल श्रौतसूत्र
- मानव श्रौतसूत्र|मानव श्रौतसूत्र
- वाराह श्रौतसूत्र|वाराह श्रौतसूत्र
- हिरण्यकेशी श्रौतसूत्र|हिरण्यकेशी श्रौतसूत्र
- वैखानस श्रौतसूत्र|वैखानस श्रौतसूत्र
- कात्यायन श्रौतसूत्र|कात्यायन श्रौतसूत्र
- सामवेदीय श्रौतसूत्र
- आर्षेय कल्पसूत्र|आर्षेय कल्पसूत्र
- क्षुद्र कल्पसूत्र|क्षुद्र कल्पसूत्र
- लाट्यायन श्रौतसूत्र|लाट्यायन श्रौतसूत्र
- द्राह्यायण श्रौतसूत्र|द्राह्यायण श्रौतसूत्र
- जैमिनीय श्रौतसूत्र|जैमिनीय श्रौतसूत्र
- अथर्ववेदीय श्रौतसूत्र
- वैतान श्रौतसूत्र|वैतान श्रौतसूत्र
</sidebar>